By: Resham Singh
जब भी जोश,ताकत, शक्ति और स्टेमिना (Stamina) के बात होती है। तो सबसे पहले घोड़े का उदाहरण दिया जाता हैं।
प्राचीन काल में हमारे ऋषि मुन्नीयों ने घोड़े की इन शक्ति का राज खोज निकाला था। और इसे अश्विनी मुद्रा का नाम दिया।
अश्विनी मुद्रा शीघ्रपतन स्वप्रदोष, पाइल्स, योनी, लिंग और मलद्वार से संबंधित सभी रोगों के लिए लाभदायक होती है।
गुदाद्वार को सिकोड़ना और फैलाने की क्रिया को ही अश्विनी मुद्रा कहते है।
घोड़े में इतनी शक्ति और फूर्ती का रहस्य यही मुद्रा है।
गोदा दबानेवाला यंत्र की मांसपेशियों को सिकोड़ने के लिए गुदा के आसपास की मांसपेशियों को अंदर और ऊपर की ओर निचोड़ें।
संकुचन को जारी करने से पहले कुछ सेकेंड के लिए रोककर रखें।
संकुचन दूर करने के बाद मांसपेशियों को पूरी तरह से आराम दें।
कुछ मिनट के लिए संकुचन और विश्राम के इस चक्र को दोहराएं।