By: Resham Singh
All Image Credit By Google
गुरु रविदास जी संत के साथ-साथ महान कवि, दार्शनिक और समाज सुधारक थे।
संत रविदास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी क्षेत्र में माघ पूर्णिमा को 1377 में हुआ था।
इसलिए हर साल माघ पूर्णिमा के दिन ही गुरु रविदास जी की जयंती मनाई जाती है।
लेकिन इनके जन्म को लेकर विद्वानों के बीच अलग-अलग मत हैं। इनकी माता का नाम कर्मा देवी और पिताजी का नाम संतोष दास था।
रविदास जी बचपन से बहादुर और ईश्वर के भक्त थे। पंडित शारदानंद गुरु से इन्होंने शिक्षा को प्राप्त किया।
शिक्षा प्राप्त करने के बाद रविदास जी अपने भक्ति के प्रति और भी ज्यादा सद्भाव हो गए।
रैदास कनक और कंगन माहि जिमि अंतर कछु नाहिं। तैसे ही अंतर नहीं, हिंदूअन तुरकन माहि !
रविदास जी कहते हैं कि जिस तरह सोना जब कंगन बन जाता है, तो दोनों में अंतर नहीं रहता। उसी तरह हिंदू और मुस्लिम में भी कोई अंतर नहीं है।
करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास !है।
कर्मों का महत्व बताते हुए संत रविदास जी कहते हैं कि मनुष्य को हमेशा अपने कर्मों पर भरोसा रखना चाहिए।