Ashwini Mudra Benefits: अगर आपको योग (Sum) में थोड़ी भी रुचि (Interest) है, ऐसे में यह Article आपके लिए बहुत जरूरी है क्योंकि मैं आपको अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) के बारे में जानकारी जानकारी दूंगी। हम अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) के बारे में जानने के इच्छुक होते हैं, और लगता है कि कितना आसान है। इसके क्या फायदे हैं, और कौन इसे कर सकता है। और इसके कारण बच्चे बिस्तर पर पेशाब करना बंद कर देते है।
युवाओं को योनि इच्छाओं की ओर धकेलना बंद कर देते है। और जिन लोगों को बार-बार पेशाब आने की समस्या होती है। उनके लिए भी है ठीक हो जाता है। आजकल लोगों में विरोध की बीमारी भी लग रही है।और किसी को अपना चेहरा संवारने का बहुत शौक है।
अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) क्या है।
जब भी जोश,ताकत, शक्ति और स्टेमिना (Stamina) के बाद होती है। तो सबसे पहले घोड़े का उदाहरण दिया जाता हैं। प्राचीन काल में हमारे ऋषि मुन्नीयों ने घोड़े की इन शक्ति का राज खोज निकाला था। और इसे अश्विनी मुद्रा का नाम दिया। अश्विनी मुद्रा शीघ्रपतन स्वप्रदोष, पाइल्स, योनी, लिंग और मलद्वार से संबंधित सभी रोगों के लिए लाभदायक होती है। गुदाद्वार को सिकोड़ना और फैलाने की क्रिया को ही अश्विनी मुद्रा कहते है। घोड़े में इतनी शक्ति और फूर्ती का रहस्य यही मुद्रा है।
अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) कैसे करें?
गोदा दबानेवाला यंत्र की मांसपेशियों को सिकोड़ने के लिए गुदा के आसपास की मांसपेशियों को अंदर और ऊपर की ओर निचोड़ें। संकुचन को जारी करने से पहले कुछ सेकेंड के लिए रोककर रखें। संकुचन दूर करने के बाद मांसपेशियों को पूरी तरह से आराम दें। कुछ मिनट के लिए संकुचन और विश्राम के इस चक्र को दोहराएं।
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अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) करने की विधि क्या है?
अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) करने की सारी विधि नीचे निम्नलिखित हैं—
- अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) करने के लिए सबसे पहले आप किसी शांत ,साफ वातावरण में एक मैट बीछा लें।
- मैट पर सुखासन या पद्मासन में बैठ जाएं।
- इस के बाद लंबी गहरी सांस लें ,अपने सांसों पर ध्यान केंद्रित करें।
- फिर धीरे-धीरे अपने सांसों को सामान्य करें।
- इसके बाद अपने ध्यान को सांस से हटकर गुदा द्वार पर लगाएं।
- इसके बाद मलद्वार को अंदर की तरफ सिकोड़ें, कुछ देर इसी अवस्था में रहे।
- फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं।
- आप इस प्रक्रिया को अपनी क्षमता अनुसार दोहरा सकते हैं।
अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) के क्या – क्या फायदे हैं? | Benefits of Ashwini Mudra
अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) के कई फायदे नीचे निम्नलिखित हैं—
अश्विनी योग मुद्रा आसन के नाम से जाने वाले योग-आसन के दौरान गुड़ा दबानेवाला यंत्र की मांसपेशियों सिकुड़ती और शिथिल है। घोड़े की सांस या घोड़े की मुद्रा इसके अन्य नाम हैं। माना जाता है की कब्ज, बवासीर, यौन रोग और मूत्र असंयम सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं में इस Technique से लाभ होता है।
पेट के रोग कम करें
अश्विनी मुद्रा पेट के कई रोगों से छुटकारा दिलाता है। यह पेट में जलन ,कब्ज ,भूख न लगना और भी कई समस्याओं को दूर करता है।
दूध एक सम्पूर्ण पौष्टिक आहार होने के साथ-साथ भोजन के अम्लीय प्रभाव को नष्ट करने वाला भी है। हलांकि इसका प्रयोग Doctor के सलाह से ही करना चाहिए क्योंकि कुछ लोगों में दूध Acidity को बढ़ाने वाला भी होता है।
तनाव से छुटकारा पाएं
जैसा कि हम जानते हैं कि, आज की दुनिया में तनाव बढ़ गया है। और हर कोई चिंता से मुक्त होना चाहता है। तो अश्विनी मुद्रा हमें इस बीमारी से बचाता है। अगर आप अश्विनी मुद्रा पूरे विधि से करते है तो जाहिर ही बात है की आप हमेशा बिमारीमुक्त रहेंगे।
बार-बार पेशाब आने की समस्या
बार-बार पेशाब आना बिस्तर पर पेशाब करना और पेशाब से जुड़ी समस्या भी अश्विनी मुद्रा से दूर होती है।
नारियल पानी एक Natural Diuretic या मूत्रवर्धक Drink है। यह उन लोगों के लिए अधिक लाभाकारी है जो लोग किसी Infection की वजह से बार-बार पेशाब करते हैं। नारियल पानी पीने से UTI के लक्षणों से राहत मिलती है और पेशाब करते समय होने वाली जलन से भी राहत मिलती है।
लहसुन में कई Antibacterial और Antifungal गुण पाए जाते हैं, जो Infection बढ़ाने वाले Bacteria को खत्म करते हैं जिससे UTI और अन्य परेशानियों से आराम मिलता है। इस घरेलू नुस्खे का सेवन यूरीन करते समय होने वाली जलन और Infection जैसी परेशानियों से आराम पाने के लिए किया जाता रहा है।
चेहरे की चमक बढ़ाने के लिए करे अश्विनी मुद्रा
यह मुद्रा चेहरे की मांसपेशियों को Donate करती है। और इससे चेहरे पर चमक आती है। इस मुद्रा को शुरू करने से पहले पद्मासन या सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं। 2-3 मिनट तक गहरी स अंदर की तरफ लें, फिर धीरे-धीरे छोड़ें। इसके बाद अपने पूरे ध्यान को अपनी नाक की Tip पर लगाकर 1-2 मिनट का ध्यान करें।
बवासीर के लिए फायदेमंद
इसे ऊर्जा ताला आसान भी कहा जाता है। इस मुद्रा में आंतों को सिकोड़ना और छोड़ना होता है। अगर कोई भी इस आसन को नियमित रूप से करें। तो बवासीर में एक हफ्ते में बढ़िया परिणाम देखने को मिल सकते हैं। दरअसल इस मुद्रा से बवासीर के दर्द से तुरंत राहत पाया जा सकता हैं।
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अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातें।
अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातें हमने नीचे बताए हैं। जिसे आपको अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) करते समय ध्यान में रखना हैं।
- अश्विनी मुद्रा करते समय आपको उचित मात्रा में पानी पीना चाहिए। एक इंसान की अपने वजन का 5% पानी दिनभर में पीना चाहिए।
- अश्विनी मुद्रा खाली पेट ही करना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को किसी योगाचार्य या जानकार के निगरानी में अश्विनी मुद्रा करनी चाहिए।
- अस्थमा के मरीजो को कुम्भक के साथ अश्विनी मुद्रा नही करनी चाहिए। उन्हें सामान्य अश्विनी मुद्रा 20-30 बार करना चाहिए।
- उच्च रक्तचाप वाले मरीजों को अश्विनी मुद्रा ज्यादा नही करना चाहिए और धीमे गति से ही करना चाहिए।
अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) पाचन में कैसे मदद करती है।
अश्विनी मुद्रा को पाचन मुद्रा के रूप में जाना जाता है। अश्विनी मुद्रा के अभ्यास से कौन से चक्र सक्रिय होते हैं। अश्विनी मुद्रा का अभ्यास मूलाधार चक्र को उत्तेजित करने में मदद कर सकता है। आसान और प्राणायाम खाली पेट या भोजन के 3 से 4 घंटे बाद करना चाहिए, लेकिन मूल बंद का अभ्यास किसी भी समय किया जा सकता है। शुरुआत में आप अश्विनी मुद्रा ही कर पाएंगे। बाद में अश्विनी मुद्रा के 15- 20 दिन बाद मूलबंद कर पाएंगें।
यौन कल्याण क्या है?
अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करने से Stamina, ऊर्जा का स्तर बढ़ता है। साथ ही अश्विनी मुद्रा करने से यौन गुदाद्वार और पेट से संबंधित रोग भी दूर हो जाते हैं। अश्विनी मुद्रा का नियमित अभ्यास करना चेहरे के लिए भी फायदेमंद होता है।
घोड़े की मुद्रा क्या है?
Sphincter of Juga मांसपेशियों को सिकोड़कर कर और फिर उन्हें शिथिल करके किया जाने वाला अश्विनी मुद्रा को योग मुद्राओं के साथ एकीकृत किया जा सकता है। और इसका अभ्यास कभी भी कहीं भी बैठकर या लेटकर कर किया जा सकता है।
सुविधाजनक स्थिति में अभ्यास कैसे करें?
अश्विनी मुद्रा करने के लिए आपको एक आरामदायक स्थिति में होना चाहिए। जिससे कि आप अभ्यास पर अपना ध्यान केंद्रित कर पाए। अश्विनी मुद्रा का अभ्यास किसी भी बैठने की स्थिति में भी किया जा सकता है, जो आपको आरामदायक लगे जैसे सुखासन।
अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) को करना धीरे-धीरे प्रारंभ करें।
यदि आप अश्विनी मुद्रा में नए हैं, तो धीरे-धीरे अश्विनी मुद्रा अभ्यास बढ़ाना महत्वपूर्ण है। संकुचन और विश्राम के कुछ दौर से शुरू करें। जैसे-जैसे अभ्यास के आप और आदि होते जाते हैं, धीरे-धीरे दोहराव की संख्या बढ़ती जाती है।
अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) खड़े होकर कैसे करें?
आप इस संकुचन को कुछ सांसों तक रोक कर रख सकते हैं, फिर कुछ सांसों के बाद छोड़ें और आराम करें। शुरुआत में इसे 5 से 10 बार दोहराएं, फिर अभ्यास के साथ दोहराव और अवधि बढ़ाई जा सकती है। और अश्विनी मुद्रा के विभिन्न रूपों में, आप इसे खड़े होकर और उल्टे मुद्रा में कर सकते हैं, लेकिन आगे की ओर झुककर नहीं।
क्या हमारे सेहत के लिए अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) सुरक्षित है?
अश्विनी मुद्रा का अभ्यास अक्सर स्वस्थ लोगों के लिए सुरक्षित होता है। जो किसी भी चिकित्सीय से समस्या से मुक्त होते हैं, फिर भी सावधानीपूर्वक शुरुआत करना और समय के साथ अभ्यास का समय और तीव्रता बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) से क्या होता है?
अश्विनी मुद्रा का अभ्यास तनाव कम करने में फायदेमंद होता है। साथी ही स्मरण शक्ति को भी बढ़ता है। अगर आप तनाव, चिंता में रहते हैं तो आपको इसका अभ्यास रोज करना चाहिए।
अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) का इतिहास
अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) का इतिहास नीचे निम्नलिखित हैं।
जब आप अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) की शुरुआत करे तब सामान्य मुद्रा में करे, क्योंकि यह एक प्राचीन काल से हठयोग की क्रिया थी। जो कुंडलिनी जागरण, वीर्य को उर्ध्वगामी बनाने, आध्यात्मिक ऊर्जा, काम ऊर्जा को संतलित एवं संचय करने के लिए उपयोग किया जाता था।
लेकिन धीरे धीरे इसके आध्यात्मिक फायदों के अलावा बहुत सारे भौतिक जीवन से जुड़े फायदे भी सामने आये। इसकी सरलता, अनगिनत फायदों के कारण और योग के वैश्विक विस्तार के साथ अश्विनी मुद्रा का फैलाव हुआ। और आज योग की दुनिया में अश्विनी मुद्रा बहुत प्रचलित रूप ले चुका है।
अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra) कब करनी चाहिए?
हमें अश्विनी मुद्रा पूरे 24 घंटे में कभी भी खाली पेट किया जा सकता है। लेकिन, सुबह और शाम का समय ज्यादा बेहतर होता है।क्योंकि ये समय शीलत होता है और अश्विनी मुद्रा करने से शरीर में थोड़ी गर्मी भी बढ़ती है। अत सुबह – शाम मल त्याग करने के बाद आप अश्विनि मुद्रा कर सकते है।वैसे तो अश्विनी मुद्रा को किसी भी मौसम में कर सकते है। लेकिन, गर्मी में अश्विनी मुद्रा को थोड़ा कम करना चाहिए। ठंडी में आप संख्या बढ़ा सकते है।
- गर्भवती महिलाओं को किसी योगाचार्य या जानकार के निगरानी में अश्विनी मुद्रा करनी चाहिए।
- उच्च रक्तचाप वाले मरीजों को अश्विनी मुद्रा ज्यादा नही करनी चाहिए या धीमे गति से करना चाहिए।
- अश्विनी मुद्रा बच्चे से बूढ़े तक कोई भी स्वस्थ पुरुष एवं महिलाये कर सकती है।
- अस्थमा के मरीजो को कुम्भक के साथ अश्विनी मुद्रा नही करनी चाहिए।
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