Christmas Day History in Hindi: क्रिसमस डे के पर्व को हर साल 25 दिसंबर को पूरे दुनिया भर में मनाया जाता है। यह पर्व ईसाई धर्म का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पर्व माना गया है। यह दिन ईसा मसीह के जन्म का प्रतीक माना गया है, जो शांति, प्रेम और मानवता का संदेश देते हैं। ऐसे में क्या आप जानते है कि इस पवित्र परंपरा की शुरुआत कैसे हुई और क्यों 25 दिसंबर को ही इस पर्व को मनाया जाता है? तो चलिए इसके बारे में जानते है।
कब हुआ था ईसा मसीह का जन्म?
ईसाई धर्म के मुताबिक, देखा जाएं तो ईसा मसीह का जन्म बेथलहम में हुआ था। उनके जन्म के समय पूरे विश्व में अशांति थी, और उनका आगमन मानवता के लिए एक नई रोशनी लेकर आया था। हालांकि, बाइबल में कहीं भी ईसा मसीह के जन्म की सटीक तारीख के बारे में चर्चा नहीं किया गया है। शुरुआती ईसाई समाज ने उनके जन्म को मनाने के लिए किसी विशेष दिन की घोषणा भी नहीं किया था।
25 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है क्रिसमस?
25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्मदिन घोषित करने के पीछे कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारण हैं, जो निम्नलिखित है।
1. सर्दियों के सोल्सटाइस का महत्व
प्राचीन रोमन और अन्य सभ्यताओं में 21-22 दिसंबर के आसपास सर्दियों के सोल्सटाइस को सूर्य के पुनर्जन्म के रूप में मनाया जाता था। वही, 25 दिसंबर को सूर्य देव के सम्मान में “सोल इन्विक्टस” (अजेय सूर्य) का त्योहार मनाया जाता था। जब ईसाई धर्म ने लोकप्रियता हासिल की, तो इस दिन को ईसा मसीह के जन्म से जोड़कर मनाने का निर्णय लिया गया।
2. रोमन साम्राज्य की भूमिका
4वीं सदी में रोम के सम्राट कॉन्स्टेंटाइन ने ईसाई धर्म को राजकीय धर्म के रूप में स्वीकार किया गया था। 25 दिसंबर को आधिकारिक रूप से ईसा मसीह के जन्मदिवस के रूप में घोषित किया गया था, जिससे यह दिन पहले से प्रचलित रोमन त्योहारों से मेल खा सके।
3. धार्मिक प्रतीकात्मकता
ईसा मसीह को ईश्वर का पुत्र और “सत्य का प्रकाश” माना जाता है। इसलिए 25 दिसंबर को सर्दियों के अंत और रोशनी के पुनरागमन का प्रतीक माना गया, जो ईसा मसीह के संदेश के अनुरूप था।
प्राचीन काल से आधुनिक क्रिसमस तक?
क्रिसमस डे का त्यौहार 4वीं सदी में यूरोप से शुरू हुआ था। मध्यकाल में यह त्योहार धार्मिक प्रार्थनाओं और सामूहिक दावतों का हिस्सा बन गया। इतना ही नहीं, चर्च में “मिडनाइट मास” (रात्रि प्रार्थना) और “नेटीविटी सीन” (ईसा के जन्म की झांकी) को काफी उच्च लेवल का दर्जा दिया गया है।
इसके आलावा 17वीं सदी में इंग्लैंड में इसे धार्मिक उत्सव से हटाकर एक पारिवारिक और सांस्कृतिक त्योहार में बदलने की प्रक्रिया शुरू हुई। बाद में 19वीं सदी में, जब महारानी विक्टोरिया ने क्रिसमस ट्री और गिफ्ट एक्सचेंज को अपनाया, तब से यह त्योहार और भी ज्यादा प्रसिद्ध हो गया है।
क्या है क्रिसमस डे का धार्मिक महत्व?
ऐसा कहा जाता है कि, क्रिसमस ना सिर्फ ईसाई समुदाय के लिए बल्कि, पूरे दुनियां-भर के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार बन गया है। यह दिन न केवल ईसा मसीह के जन्म का स्मरण कराता है, बल्कि यह प्रेम, सेवा और उदारता का संदेश भी देता है। इसे हर साल बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है।
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