Digital Technology AI: भारत में जब वह वैश्विक लीडर बने उसके बाद से ही Artificial Intelligence (AI) को अपनी बड़ी आबादी के व्यापक हित में उपयोग करने की दिशा में आगे बढ़ावा देने लगे। इसके मद्देनजर स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने से लेकर गरीबी उन्मूलन के बड़े लक्ष्यों को हासिल करने के लिए AI नया अस्त्र साबित हो सकता है।
खासकरके अभी के समय में भी पूरी दुनिया के लिए चुनौती बनी टीबी जैसी बीमारी, इसके इलाज के लिए नए टीका विकसित कर इसके रॉल आउट में AI क्रांतिकारी साबित हो सकता है।बिल एंड मिलिंडा गेटस फाउंडेशन के CEO मार्क सुजमैन जिन्होंने अभी-अभी परोकार के उद्देश्य से फांउडेशन के अब तक के सबसे बड़े बजट की घोषणा की है। तो आई इस Digital AI Technology के बारे में जानते हैं।
भारत आपके फाउंडेशन के लिए एक फोकस देश रहा हैं।
2024 के पिछले हप्ते ही 8.6 बिलियन डालर का नया बजट घोषित किया है जो किसी भी परोपकार के लिए अब तक का सबसे बड़ा बजट है। हम वैश्विक दक्षिण के अधिकांश हिस्सों को सामाजिक कार्यों के लिए अवसर के रूप में देखते हैं भारत इसमें अपवाद है क्योंकि वह तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है। बाल और मातृ मृत्यु दर जैसे प्रमुख संकेतकों में महत्वपूर्ण सुधार हो रहा है। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे ऐतिहासिक रूप से चुनौतीपूर्ण रहे कई बड़े राज्यों में भी प्रगति हुई है।
लेकिन विश्व में 60 से अधिक देश ऐसे हैं जिन्हें वास्तव में स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश करने की तुलना में अंतरराष्ट्रीय कर्ज में अधिक भुगतान करना पड़ रहा है। हमने विश्व स्तर पर मलेरिया, तपेदिक, एचआईवी जैसी प्रमुख संक्रामक बीमारियों में कुछ झटके देखे हैं। इसलिए हमारे बजट का फोकस यह है कि हम यह कैसे सुनिश्चित करें कि प्रगति फिर से शुरू हो। 21वीं सदी के पहले दो दशकों में जो हमने देखा है उसमें तेजी लाना संभव है क्योंकि भारत दुनिया को दिखा रहा है कि यह कैसे संभव है। लेकिन ऐसा करने के लिए हमें न केवल सरकारों से बल्कि परोपकारी लोगों से भी कार्रवाई, समर्थन और संसाधनों की आवश्यकता है।
भारत फाउंडेशन में दो दशकों से अधिक समय से काम कर रहा है।
वैसे तो हम जैसे लोग जो कर सकते हैं वह यह है कि अवसरों, मॉडलों या काम करने के तरीकों की पहचान करने में मदद कर सकते हैं। हम तकनीकी नवाचारों को वित्त पोषित करने में मदद कर सकते हैं, चाहे वह नए टीके हों, या नए उपचार हों, या नई कृषि तकनीकें हों। इसलिए HIV / AIDS की रोकथाम से शुरुआत करते हुए भारत ने बहुत ही गौरवपूर्ण ट्रैक रिकॉर्ड का लक्ष्य हासिल किया। बच्चों के टीकाकरण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भी काम कर रहे हैं। हमारा सबसे बड़ा फोकस एक ऐसा क्षेत्र जहां हम जीएवीआई, ग्लोबल वैक्सीन एलायंस के साथ काम करते हैं।
जिसने पिछले पांच वर्षों में भारत को बहुत अधिक सहायता प्रदान करने में मदद की है। लेकिन अंत में नेतृत्व भारत सरकार से मिलता है जिसने एनटीएजीआई जैसे संस्थानों की स्थापना कर नए टीकों को प्राथमिकता दी है। रोटावायरस वैक्सीन जैसे नए टीके भारत में विकसित किया जा रहा है जिसके विकास में हमने मदद की और यह विश्व स्तर पर निर्यात किया जा रहा है। यह एक बेहतरीन मॉडल है कि जब भारत को घरेलू सफलता मिलती है, तो उसका कुछ हिस्सा बाकी दुनिया के साथ साझा किया जा सकता है। आगे बढ़ते हुए जिन क्षेत्रों को लेकर हम सबसे अधिक उत्साहित हैं उनमें से एक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में भारत का नेतृत्व है।
भारत वैश्विक क्षेत्र में डिजिटल लीडर है
AI एक ऐसा क्षेत्र है जो बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। जब हमारे पास AI और IT जैसी नई प्रौद्योगिकिया आती हैं तो चुनौती यह होती है कि जब तक सबसे गरीबों की जरूरतों पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता तब तक यह सबसे अमीर लोगों को लाभ पहुंचाएगा। इसलिए हम बहुत ध्यान से देख रहे कि AI का उपयोग कर हम वास्तव में गरीबों का समर्थन कैसे करेंगे। उनमें से कुछ तकनीकी नवाचार हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र, सिंचाई और शिक्षा क्षेत्र में छात्रों की जरूरत को बेहतर ढ़ग से समझ कर उसका समाधान निकालने की दिशा में हम काम कर रहे हैं। अभी AI की कहानी शुरुआत हुई है लेकिन हमारे पास कुछ बहुत उत्साहजनक उदाहरण हैं।
भारत के ऐसे रोमांचक नए इनोवेशन
आज हर कोई भारत के Digital सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के साथ यही करने की कोशिश कर रहे हैं। डिजिटल पहचान प्लेटफ़ॉर्म जिसे अब भारत सरकार ने अपनी G20 पहल के हिस्से के रूप में पुनर्गठित किया है । हम 20 से अधिक देशों में काम कर रहे हैं, ऐसी योजनाएं विकसित कर रहे हैं जो भारतीय आधार प्रणाली पर आधारित हैं और इसमें फिलीपींस से मोरक्को जैसे देश शामिल हैं जहां इसकी प्रगति हुई है। अब हम भारत के वित्तीय समावेशन के मॉडल के बारे में सोंच रहे जिसकी बाहर बहुत प्रासंगिकता है। भारत ने वास्तव में इस दिशा में प्रगति की है।
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