ELI Yojana 2024: भारत के प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने अभी हाल ही में केंद्रीय बजट 2024 में नै योजना ‘रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना’ यानी ‘ELI’ को संचालित किया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि निर्माताओं और निर्यातकों को प्रोत्साहन देकर निर्यात को बढ़ावा देना है।
इसके आलावा सरकार का यह भी मानना है कि इससे भारतीय उत्पादों की मार्केट में अच्छी पकड़ बनेगी, घरेलू उद्योगों को मजबूती मिलेगी और विदेशी मुद्रा में भी बढ़ोतरी होगी। तो आइये इस योजना के बारे में पुरी जानकारी जानते है।
तीन अलग-अलग योजनाओं का समूह है ELI
जी हां, ELI योजना तीन अलग-अलग योजनाओं एक समूह है। पहली योजना के अंतर्गत सरकार नौकरी शुरू करने वाले कर्मचारियों को वेतन का एक हिस्सा देगी। दूसरी योजना का उद्देश्य मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार के नए अवसर पैदा करना और तीसरी योजना के जरिए नियोक्ताओं को आर्थिक मदद मुहैया कराई जाएगी। तो आइये इन तीनों योजनाओं को समझते है।
1. वेतन सब्सिडी
इस योजना को ‘वेतन सब्सिडी’ का नाम दिया गया है, जिसके अंतर्गत लगभग 1 करोड़ कर्मचारियों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य है। यह योजना दो साल तक चलेगी। इसमें उन नए कर्मचारियों को तीन किस्तों में 15,000 रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी, जिनका मासिक वेतन 1 लाख रुपये तक है।
दूसरी किस्त पाने के लिए उम्मीदवार को ऑनलाइन वित्तीय साक्षरता का एक कोर्स पूरा करना होगा। अगर नौकरी 12 महीने से पहले ही छूट जाती है तो कंपनी को सब्सिडी वापस करनी होगी।
2. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार
दूसरी योजना ‘मैन्युफैक्चरिंग” इस सेक्टर में काम करने वाले नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करना है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए नियोक्ताओं का EPFO में कम से कम तीन साल का ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिए।
इसके अलावा, उन्हें कम से कम 50 गैर-ईपीएफओ कर्मचारियों या पिछले साल के ईपीएफओ कर्मचारियों की संख्या के 25 फीसदी (जो भी कम हो) को नौकरी EPFO रखना होगा। इसके आलावा सब्सिडी का भुगतान चार साल तक किया जाएगा और इसे कर्मचारी और नियोक्ता के बीच बराबर बांटा जाएगा। सब्सिडी की गणना वेतन के आधार पर होगी।
3. नियोक्ता को सपोर्ट
यह योजना ‘नियोक्ता को सपोर्ट’ खास तौर पर उन नियोक्ताओं के लिए है, जो अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाते हैं। इसके अंतर्गत, नियोक्ताओं को EPFO नियोक्ता अंशदान पर हर महीने 3,000 रुपये तक का रिंबर्समेंट दो साल तक मिलेगा।
दरअसल, इसके लिए कुछ शर्तें हैं। जिन नियोक्ताओं के पास 50 से कम कर्मचारी हैं, उन्हें कम से कम दो नए कर्मचारियों को नौकरी पर रखना होगा। जिनके पास 50 या उससे ज्यादा कर्मचारी हैं, उन्हें कम से कम पांच नए कर्मचारियों को नौकरी पर रखना होगा।
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