Eucalyptus Cultivation Tips: आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि, कोरोना महामारी के बाद देश में करोड़ों लोगों की नौकरियां गई हैं। हालांकि, महामारी का प्रभाव कम होने के बाद रूस यूक्रेन युद्ध के चलते दुनिया भर में महंगाई काफी तेजी से बढ़ने लगी है। अर्थव्यवस्था के इस उथल पुथल के दौर में नौकरी पाना काफी मुश्किल काम हो गया है। ऐसे में कई लोग अपना खुद का व्यापार शुरू करने की योजना बना रहे हैं। तो आप इस पोस्ट के माध्यम से सभी तरीको को अच्छे से समझ सकते है।
इस बिजनेस के जरिए आप 1 करोड़ रुपये तक की कमाई कर सकते हैं। ये व्यवसाय सफेदा के पेड़ से जुड़ा है। सफेदा के पेड़ की लकड़ियों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल फर्नीचर, पार्टिकल बोर्ड और इमारतों को बनाने के लिए किया जाता है। सफेदा के पेड़े को कई जगह पर नीलगिरी के नाम से भी जाना जाता है। देश में कई लोग इस पेड़ की खेती करके लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। तो चलिए इसके बारे में पूरी जानकारी जानते है।
कैसे शुरू करें यूकेलिप्टस की खेती
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि, यूकेलिप्टस ऑस्ट्रेलिया की प्रजाति का पेड़ है। भारत में इसकी सबसे ज्यादा खेती उत्तर प्रदेश में की जाती है। यूकेलिप्टस की खेती के लिए 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सही रहता है। इसके लिए दोमद मिट्टी सबसे सही मानी जाती है। यूकेलिप्टस की पौधे लगाने के लिए सबसे पहले खेतों को अच्छे से जोत लें।
उसके बाद मिट्टी को अच्छे से समतल कर लें। समतल होने के बाद 5-5 फीट की दूरी पर एक फीट चौड़े और एक फीट गहरे गड्ढे बना लें। इसके बाद तैयार पौधे को उसमें लगा दें। इस दौरान आपको इस बात का खास ध्यान रखना है कि जहां यह पौधे लगाए गए हैं, वहां जल निकासी की सही वयव्सथा जरूर हो।
यूकेलिप्टस की खेती में उर्वरक
वैसे तो अच्छी पैदावार के लिए बागवानी, वानिकी और सामान्य फसल की खेती में भी उर्वरकों के इस्तेमाल का सुझाव दिया जाता है। हालांकि, हर मिट्टी की तरह यूकेलिप्टस की खेती में भी उर्वरक का प्रयोग मिट्टी की जांच के बाद ही करें। किसान यूकेलिप्टस के साथ गन्ने की खेती कर सकते हैं। इसे सहफसली खेती या एक फसल के साथ दूसरे फसल की खेती भी कहा जाता है। दोनों एक साथ बोए जाने पर अच्छी पैदावार भी देते हैं।
यूकेलिप्टस की सिंचाई
किसी भी फसल की अच्छी पैदावार में सिंचाई की अहम भूमिका होती है। बागवानी और वानिकी में भी पानी की सही मात्रा का ज्ञान जरूरी है। यूकेलिप्टस यानी नीलगिरी में यूं तो अधिक पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन रोपाई के समय अगर बारिश नहीं हुई है तो सिंचाई जरूर करें।
यूकेलिप्टस सूखे को अच्छे से झेल लेता है, लेकिन पौधा अच्छे से विकसित हो इसके लिए नियमित सिंचाई का सुझाव दिया जाता है। एक एकड़ में नीलगिरी की खेती करने पर 5 साल में एक पेड़ से 400 किलो तक लकड़ी मिल जाती है। इस आधार पर एक एकड़ में यूकेलिप्टस सेस 50 लाख तक की आमदनी हो सकती है।
इस खेती में कितना होगा मुनाफा
जानकारी के मुताबिक, यूकेलिप्टस के पेड़ को पूरी तरह बड़े होने में 8 से 10 साल का समय लग जाता है। 1 हेक्टेयर में यूकेलिप्टस के करीब 4000 पेड़ लगाये जा सकते हैं। पूरी तरह पेड़ों का विकास होने के बाद इसकी लकड़ी को काटकर बेचने से करोड़ों रुपये मुनाफे के तौर पर कमाए जा सकते हैं। यूकेलिप्टस की लकड़ी को खास तौर पर फर्नीचर के लिए प्लाईवुड के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी मार्केट में हमेशा भारी डिमांड रहती है।
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