Falgun Amavasya 2024: शास्त्रों की मान्यता के अनुसार सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु से जुड़े सभी व्रतों में एकादशी व्रत को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है।
विजया एकादशी तिथि का आरंभ 6 मार्च को सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर होगा और अगले दिन 7 मार्च को 4 बजकर 14 मिनट पर एकादशी तिथि समाप्त होगी। पंचाग के अनुसार एकादशी तिथि 6 मार्च को मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
क्या है इस Falgun Amavasya 2024 की सही तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 09 मार्च शाम 06:17 से शुरू होगी और 10 मार्च दोपहर 02:29 पर समाप्त हो जाएगी। Falgun Amavasya व्रत 10 मार्च 2024, रविवार के दिन रखा जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस दिन साध्य योग का निर्माण हो रहा है जो दोपहर 4:14 तक रहेगा।
Falgun Amavasya 2024 स्नान दान समय
Falgun Amavasya के दिन स्नान के लिए ब्रह्म मुहूर्त को बहुत ही लाभकारी माना गया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:59 से सुबह 05:48 तक रहेगा। वहीं इस दिन दान के लिए अभिजीत और विजय मुहूर्त को सबसे उत्तम माना जाता है। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:08 से दोपहर 12:55 के बीच रहेगा, वहीं विजय मुहूर्त दोपहर 02:30 से दोपहर 03:17 के बीच रहेगा।
क्या है Falgun Amavasya का महत्व ?
Falgun Amavasya का दिन स्नान-दान के पुण्य की प्राप्ति के साथ पितरों के आशीर्वाद प्राप्ति का भी अवसर होता है। इस दिन आप अपने पितरों को घ्यान करके अन्न, वस्त्र, धन, भूमि आदि का दान कर सकते हैं।
फाल्गुनी अमावस्या के दिन जरूर करें यह कार्य
- Falgun Amavasya के दिन पवित्र स्नान और पूजा-पाठ के साथ-साथ, पितरों को तर्पण भी देना चाहिए। इससे पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है और जिन जातकों की कुंडली में पितृ दोष है, उन्हें भी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
- धर्म शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि जो व्यक्ति साल में किसी भी अमावस्या में पितरों का श्राद्ध नहीं कर पता है, उन्हें Falgun Amavasya के दिन किए गए श्राद्ध का विशेष फल मिलता है।
- Falgun Amavasya के दिन दान-पुण्य को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए किसी जरूरतमंद व्यक्ति को कपड़ा, धन या भोजन का दान जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
क्यों लगता है इस दिन पितृदोष
- परिजनों का विधिवत अंतिम संस्कार या श्राद्ध नहीं होना।
- अकाल मृत्यु होना और पितरों का अपमान करना।
- मांगलिक कार्यों में पितरों को याद नहीं करना।
- पीपल, नीम या बरगद के पेड़ को काटना या कटवाना।
- कुंडली में सूर्य और राहु की युति जब नवम भाव में होती है तो पितृ दोष का निर्माण होता है।
पूरा जीवन बर्बाद कर देता है ये पितृ दोष
- पितृ दोष से पीड़ित परिवार कभी पनप नहीं पाता है।
- पितृ दोष होने पर व्यक्ति को कदम कदम पर दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है।
- घर में हमेशा आर्थिक संकट बना ही रहता है।
- मेहनत करने के बावजूद उसका फल नहीं मिलता है।
- संतान संबन्धी सुख आसानी से प्राप्त नहीं होता है।
- गर्भपात या गर्भधारण में बहुत ज्यादा समस्या, कॅरियर में बार बार रुकावट आती है।
क्या है पितृ दोष होने पर इससे बचने के उपाय
- अमावस्या के दिन किसी गरीब को भोजन कराएं।
- अमावस्या के दिन पीपल का पेड़ लगाएं और उस पेड़ की सेवा जरूर करें।
- अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त तर्पण, श्राद्ध और दान करें. इससे पितर संतुष्ट होते हैं।
- पितरों के कष्ट कम होते हैं और उनकी नाराजगी दूर होती है।
- संपूर्ण गीता पढ़ना संभव नहीं तो सातवें अध्याय का पाठ जरूर करें।
- पीपल को मीठा जल दें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
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