ISRO Gaganyaan Mission: भारत का पहला ISRO गगनयान मिशन 21 अक्टूबर 2023 को लांच कर दिया गया है, ISRO शनिवार को अपना पहला गगनयान विल टेस्ट उड़ान करने जा रहा है, (ISRO) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में मानव को भेजने के लिए अपना पहला कदम बढ़ाने के लिए पूरी तरह तैयार है, |
श्री जितेंद्र सिंह जो कि केंद्र मंत्री हैं, उन्होंने गगनयान फर्स्ट फ्लाइट मिशन की तारीख का ऐलान करते हुए कहा था, कि पहला मिशन पूरी तरह से मानव रहित होगा | इसके बाद दूसरे मिशन में महिला रोबोट भेजा जाएगा तीसरे मिशन में मानव को वर्ष 2025 में भेजा जाएगा गगनयान में 3 लोगों की टीम को तीन दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा |
Gaganyaan Mission क्या है ?
Gaganyaan Mission, भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम है, इस मिशन का प्रथम लक्ष्य तीन दिवसीय मिशन के लिए तीन चालक दल के सदस्यों को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करना है | इसके बाद क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कराया जाएगा | अगर यह मिशन सफलतापूर्वक समाप्त होता है, तो भारत, चीन, अमेरिका और रूस के बाद ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा | इसमें चालक के दल को LVM3 नामक रोबोट का उपयोग करके निर्देशित कक्षा में लाया जाएगा | यह मिशन 2025 में पृथ्वी पर सुरक्षित लौटने का है |
Gaganyaan Launch Date and Time
भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, इसकी पहली प्रशिक्षण 21अक्टूबर 2023 को सुबह 7:00 बजे ईस्ट से 9:00 आईसीटी के बीच श्री हरी कोटा स्पेस कोर्ट से होने वाला है |
Gaganyaan Project Aim क्या है ?
गगनयान प्रोजेक्ट के माध्यम से, या इसके द्वारा चंद्रमा की खोज के लिए एक योजना विकसित की गई है
| इसमें कई चंद्रयान मिशन अगली पीढ़ी केलॉन्च वहां जाने की (एनजीएलबी ) का निर्माण और एक नए लांचपाद का निर्माण जो कि मानव केंद्रित सुविधाओं की स्थापना और संबंधित तकनीक प्रयास के सभी इस श्रेणी में आएंगे | वीनस ऑर्बिटर मिशन और मार्स लेंडर, इस परियोजनाओं के लिए दो उदाहरण है जिन पर काम करने के लिए, हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय वैज्ञानिकों को चुनौती दे दी थी |
यह दो सफल परीक्षण यात्राओं के बाद, सबसे पहले मानवरहित उड़ान, जिसके दौरान एक समान बिना दवा वाले क्रू मॉड्यूल को अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा | और उसके बाद पृथ्वी पर वायुमंडल की नकल करने के लिए क्रू मॉड्यूल अंतिम उड़ान के लिए दवा डाला जाएगा | मानवरहित उड़ान से ठीक पहले, सभी प्रणालियों को प्रशिक्षणकरने के लिए दो तुलनीय प्रशिक्षण वहांमिशन आयोजित किए जाएंगे | इससे गगनयान दो सफलमानव रहित पुराने के बादअंतरिक्ष यात्रियों को भेजा जाएगा |
जाने Gaganyaan Test Flight के बारे में |
गगनयान मिशन को अंतरिक्ष विभाग द्वारा विस्तार से वर्णन किया गया, जिसमें अब तक बनाई गई विभिन्न प्रौद्योगिकियों, कि मानव-रेटेड लॉन्च वहां और सिस्टम योग्य या योग्यता पर भी प्रकाश डाला गया है | जिसमें यह उल्लेख किया गया थाकी लगभग 20 महत्वपूर्ण परीक्षण होंगे, जिनमें से तीन चालक रहित HLVM3 मिशन होंगे |
जैसा कि हमें पता है कि 21 अक्टूबर 2023, को एस्केप सिस्टम टेस्ट व्हीकल अपनी प्रारंभिक प्रदर्शन उड़ान का संचालन करने वाला है | प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिया है, जैसे कीभारतीय अंतरिक्ष परियोजना में चंद्रायंत्री और आदित्य L1 मिशन की सफलता को आगे बढ़ाने के लिए अब नए और महत्वाकांक्षी उद्देश्यों का लक्ष्य रखना चाहिए | जिसमें यह बताया गया है, 2040 तक पहले भारतीय को चंद्रमा पर भेजना और 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना शामिल है |
Gaganyaan मिशन ~ सुरक्षित वापसी करना है मकसद
Gaganyaan Mission : इस उड़ान में तीन हिस्से सिंगल स्टेज लिक्विड रॉकेट, क्रू मॉड्यूल (सीएम) (CM) और क्रू एस्केप सिस्टम (CES) शामिल है | इस परीक्षण के समय टेस्ट व्हीकल की को ऊपर ले जाया जाएगा | अबाउट जैसी स्थिति बनाई जाएगी, जिससे कीकोई दिक्कत होने पर अंतरिक्ष यात्री को मॉडल सुरक्षित वापस ले आएगा | समय कैप्सूल की गतिमें 1.2 यानी1431 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरेगा | इस गति में 11.7 किलोमीटर की ऊंचाई से क्रू एस्केप सिस्टम रॉकेट से 60 डिग्री पर अलग होगा | इसके बाद क्रू मॉड्यूल (सीएम) क्रू एस्केप सिस्टम (CES), 594 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 17 किलोमीटर ऊपर जाना शुरू कर देगा | वहां पहुंचने पर दोनों सिस्टम अलग हो जाएंगे |
कब खुलेगा पैराशूट ?
क्रू मॉड्यूल (सीएम) जब सीबीएसई से अलग होगा, तब 16.6 किलोमीटर की ऊंचाई पर इसके छोटे पैराशूट खुल जाएंगे| जब यह कैप्सूल 2.5 किलोमीटर से कम ऊंचाई पर होगा तब जाकर इसके मुख्य पैराशूट खुलेंगे | इस क्रू की लैंडिंग श्रीहरीकोटा से 10 किलोमीटरदूर बंगाल की खाड़ी में लैंडिंग होगी, जहां से इसे नौसेना रिकवर करेगी | वही क्रू एस्केप सिस्टम (CES)14 किलोमीटर और टीवी बूस्टर 6 किलोमीटर दूर समुद्र में गिरेंगे और वहीं डूब जाएंगे |
क्रू मॉड्यूल क्या है ?
यह गगनयान का वह हिस्सा हैजिसके अंदर अंतरिक्ष यात्री बैठकर धरती के चारों तरफ 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली निचली कक्षा में चक्कर लगाएगी | यह एक केबिन की तरह होती है जिसे कई चरणों में विकसित किया जाता है, इसमें नेविगेशन सिस्टम फूड हीटर फूड स्टोरेजहेल्थ सिस्टम और टॉयलेट सभी कुछ उपलब्ध होता है इसके अंदर का हिस्सा उच्च और निम्न तापमान को बर्दाश्त करने के योग्य होता है साथ ही अंतरिक्ष के रेडिएशन से एस्ट्रोनॉट को बचाता है |
क्या होगा हासिल ?
यह भारत का गगनयान मिशन अगर सफल होता है तो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष के वातावरण को समझने का एक मौका मिलेगा | गगनयान मिशन देश को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में देश की तकनीकी विकास को और बेहतर दिशा में ले जाएगा इस मिशन की सफलता के बाद भारत अमेरिका, चीन और रूस के बाद ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा |
क्या है क्यामिशन का बजट ?
इस मिशन के लिए भारत ने लगभग 9023 करोड रुपए का बजट पास किया हैगगनयान मिशन भारत का पहला हुमन स्पेस मिशन है जो तीन दिनों तक का होगा | इस मिशन में तीन सदस्यों के दल को पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा | इसके बाद क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से समुद्र के रास्ते लैंड भी कराया जाएगा |
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