Google Building System: जैसा कि आप सबको पता है की गूगल का एक अलग इकोसिस्टम है और गूगल का एक अलग ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसका उपयोग हर एक स्मार्टफोन कंपनी करती है हम कोई भी जानकारी प्राप्त करने के लिए गूगल पर सर्च करते हैं लेकिन गूगल सर्च के अलावा भी गूगल काफी बड़े दायरे पर फैला हुआ है हम अपनी एंड्रॉयड फोन में हर पल गूगल पर ही निर्भर रहते हैं
अगर हमें कोई ऐप अपने फोन में डाउनलोड करनी होती है तो हम तुरंत गूगल प्ले स्टोर को खोलते हैं जो की गूगल का ही सिस्टम है, और जब हमें किसी जगह विशेष का रास्ता देखना होता है तो हम तुरंत ही गूगल मैप का सहारा लेते हैं इसके अलावा हम ईमेल भेजने के लिए जीमेल का उपयोग करते हैं। यह सब गूगल के इकोसिस्टम में ही शामिल है।
लेकिन अब गूगल प्ले स्टोर को लेकर एक काफी तगड़े लेवल का विवाद चल रहा है इसके बारे में पूरी डिटेल हमने नीचे बताई है….
क्या है Google Building System विवाद?
यदि आपको Google Building System विवाद के बारे में नहीं पता तो इसे बिल्कुल आसान भाषा में समझने की कोशिश करते हैं जैसा कि आप सभी को पता है कि जब कोई अपनी नई एप्लीकेशन बनाता है तो वह डाउनलोड्स पाने के लिए अपनी ऐप को गूगल प्ले स्टोर पर पब्लिश करता है|
लेकिन गूगल प्ले स्टोर पर कोई भी एप्लीकेशन पब्लिश करने के लिए हमें गूगल को कुछ भुगतान करना पड़ता है अर्थात गूगल कोई भी एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर पब्लिश करवाने के लिए हमसे कुछ चार्ज करता है यह चार्ज अलग-अलग होता है जो एप्लीकेशन पर डिपेंड करता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह चार्ज 10% से 30% तक होता है।
लेकिन अभी गूगल दोबारा नया नियम लागू किया गया था जिसके अनुसार गूगल,गूगल प्ले स्टोर पर लॉन्च की गई एप्लीकेशन से सब्सक्रिप्शन का भी चार्ज करने लगा था अर्थात अगर कोई एप्लीकेशन सब्सक्रिप्शन पर चलती है तो गूगल उसे सब्सक्रिप्शन का भी कुछ हिस्सा मांगने लगा था जो की बिल्कुल गलत था लेकिन अब सरकार द्वारा इस विवाद को सलटा दिया गया है।
1 मार्च को गूगल द्वारा की गयी थी एप्प्स डिलीट
आपकी जानकारी के लिए बता देंगे गूगल द्वारा 1 मार्च को काफी एप्लीकेशन को डेट कर दिया गया था और इसके बाद सरकार ने गूगल के साथ इस विवाद के बारे में बातचीत की और इस विवाद को सलटा लिया और गूगल द्वारा फिर से उन एप्लीकेशन को पब्लिश किया गया है सरकार का कहना है कि हम भारतीय एप्लीकेशन स्टार्टअप के साथ है।
क्या चुनना होगा कोई दूसरा विकल्प?
अगर हम एप्लीकेशन पब्लिशिंग के कोई दूसरी विकल्प की बात करें तो ऐसे कई विकल्प हैं जिन पर हम अपनी एप्लीकेशन को पब्लिश कर सकते हैं लेकिन गूगल प्ले स्टोर दुनिया भर का एक पॉप्युलर प्लेटफार्म है जिस पर करोड़ों की संख्याओं में एप्लीकेशन है और यदि हम अपनी एप्लीकेशन को गूगल प्ले स्टोर पर पब्लिश करते हैं तो ज्यादा से ज्यादा डाउनलोड आने के चांस होते हैं.
इस प्रकार हम पॉपुलर प्लेटफार्म की तरफ ही ज्यादा आकर्षित होते हैं। इसी वजह से हर कोई डेवलपर अपनी एप्लीकेशन को प्ले स्टोर पर ही पब्लिश करने का सोचता है चाहे प्ले स्टोर को कुछ चार्ज ही क्यों नहीं देना पड़े।
क्या बना बिलिंग सिस्टम विवाद का कारण?
अगर Google Building System विवाद के कारण की बात करें तो इसे एक उदाहरण के तौर पर समझते हैं जैसे की कोई एप्लीकेशन है हम पॉपुलर एप्लीकेशन नेटफ्लिक्स का उदाहरण लेते हैं अगर हमें नेटफ्लिक्स पर अनलिमिटेड मूवी, वेब सीरीज इत्यादि दृश्य सामग्री देखनी है |
तो हमें इसका सब्सक्रिप्शन लेना पड़ता है और इस सब्सक्रिप्शन का पूरा का पूरा फायदा एप्लीकेशन के मालिक को जाता है. लेकिन गूगल ने बिलिंग सिस्टम के अनुसार यह ऐलान कर दिया था कि सब्सक्रिप्शन से होने वाले प्रॉफिट का भी 20-30% परसेंट गूगल को मिलना चाहिए ।
जो की बिल्कुल गलत था इससे गूगल का लालच पूर्ण रूप से स्पष्ट होता है। लेकिन अब Google Building System विवाद को पूरी तरह से सुधार दिया गया है।
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