क्या आप सब को पता है कि दिवाली पर लक्ष्मी पूजा क्यों मनाया जाता है? अगर नहीं पता तो इस आर्टिकल के माध्यम से आज हम जानेंगे कि दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा क्यों मनाया जाता है। पोराण कथाओं में कहा है कि भगवान श्री राम इसी दिन लंका पर विजय प्राप्त कर और अपने 14 वर्ष का वनवास पूरा करके वापस अयोध्या लौटे थे। उनके आने की खुशी में पूरे राज्य को दीपों से सजाया गया था। तभी से यह त्योहार मनाया जाता है।
अपने जीवन में धन-धान्य, सुख-समृद्धि हर कोई व्यक्ति पाना चाहता है, जिसकी प्राप्ति हेतु धन की देवी; माँ लक्ष्मी को सभी भक्तों द्वारा दीपावली में लक्ष्मी पूजा के दिन उन्हें प्रसन्न करने हेतु पूजा-अर्चना की जाती है।दीपावली के पावन पर्व पर सभी घरों में लक्ष्मी पूजा होती है, देवी महालक्ष्मी के अलावा माँ सरस्वती तथा गणेश जी की पूजा भी लक्ष्मी पूजा के दिन भक्तों द्वारा की जाती है।
इसलिए आज हम इस आर्टिकल पर इसी विषय पर संपूर्ण चर्चा करेंगे। ताकि सभी पाठकों को इस लेख में लक्ष्मी पूजा के विषय पर पर्याप्त जानकारी मिल सके तो दोस्तों आप भी लक्ष्मी पूजा क्या है, लक्ष्मी पूजा विधि, तथा इसके महत्व के विषय पर पूरी जानकारी नीचे दी हुई है। जिससे आप सारी जानकारी को प्राप्त कर सकते हैं।
क्या है लक्ष्मी पूजा?
अब हम जानेंगे की लक्ष्मी पूजा क्या है। दिवाली पर्व के कुछ दिन पहले ही साफ – सफाई कर घरों को दुल्हन की तरह सजाया जाता है, शाम को रंग-बिरंगी लाइट तथा दीपों की जगमगाहट तथा पटाकों के धमाकों के साथ आसमान गूंज उठता है।दीपावली की शाम को सभी भक्तों द्वारा परिवार के साथ मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है, साथ ही भक्तों द्वारा माँ सरस्वती,गणेश, कुबेर, भगवान कृष्ण तथा श्री राम की पूजा भी की जाती है।
धनधान्य की प्राप्ति हेतु भक्तों द्वारा लक्ष्मी पूजन के इस दिन पर महालक्ष्मी की पूजा श्रद्धा भाव से की जाती है, और पूरे उत्साह के साथ इस पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाते है। यह पर्व भारत में हर जगह पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है।
1. | नाम | लक्ष्मी पूजा |
2. | उद्देश्य | धार्मिक निष्ठा, उत्सव, मनोरंजन |
3. | पालन | धन और समृद्धि का उत्सव |
4. | तिथि | बहन(आमंता) / बहन (पूर्णिमांत), पक्ष, तिथि |
5. | आवृत्ति | सालाना |
6. | अनुयायी | हिंदू |
7. | तारीख | 12 नवंबर 2023 |
2023 में लक्ष्मी पूजा कब की जाएगी?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल लक्ष्मी पूजा 12 नवंबर 2023, दिन रविवार को होगी।
क्यों मनाते हैं लक्ष्मी पूजा?
दोस्तों दीपावली का पर्व सभी हिंदुओं द्वारा आदिकाल से बड़ी प्रसन्नता के साथ मनाया जा रहा है और आज भी मनाया जाता है। लेकिन दीपावली के दिन मां लक्ष्मी, गणेश जी एवं सरस्वती मां की पूजा अर्चना क्यों की जाती है इस विषय पर जानना हमारे लिए जरूरी हो जाता है तो यह जानने के लिए हम इस रहस्य को जानते हैं।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार काफी समय पहले की बात है।
जब समुद्र मंथन से पूर्व राक्षस और देवताओं के बीच घमासान युद्ध होते रहते थे। एक बार देवतागण राक्षसों पर भारी पड़ गए तथा उन्होंने युद्ध में विजय प्राप्त की।जिसके बाद राक्षस वहां से दूर पाताल लोक पर जाकर छुप गए उन्हें इस बात का एहसास हो चुका था कि वह देवताओं की अद्भुत शक्ति से जीत हासिल नहीं कर सकते, क्योंकि उस समय माँ लक्ष्मी अपने 8 रूपों के साथ इंद्रलोक में रहकर देवताओं पर धन की वर्षा कर रही थी।
इसी वजह से देवताओं में अब अहंकार आने लगा और एक दिन दुर्वासा ऋषि को रास्ते में इंद्रदेव दिखाई दिए जो अपने एरावत हाथी के साथ थे। इंद्र देव को देखकर दुर्वाषा ऋषि को बेहद प्रसन्नता हुई उन्होंने अपनी प्रसन्नता को जाहिर करते हुए अपने गले में धारण माला इंद्रदेव को फेंकी, लेकिन इंद्र देव अपनी धुन में मस्त थे जिस वजह से वह माला उनके ऐरावत हाथी के सिर पर चली गयी।
जब हाथी को सिर पर किसी वस्तु के गिरने का आभाष हुआ तो उसने सिर हिलाया और वह माला नीचे गिरकर हाथी के पैरों से कुचल दी गयी। इस दृश्य को देखकर दुर्वाषा ऋषि बेहद क्रोधित हुए उन्होंने इंद्र देव को श्राप दिया कि “जिस वजह से तुम इतने अहंकार में हो, वह तुमसे दूर होकर पाताललोक चली जायेगी।
और ऐसा कहते ही माँ लक्ष्मी इंद्रलोक को त्यागकर पाताल लोक में चली गयी, जिससे एक बार फिर से इंद्र समेत सभी देवतागण कमजोर हो गए। और राक्षस माँ लक्ष्मी को पाकर बलशाली हो गए और सभी राक्षस अब इंद्रलोक को पाने का उपाय करने लगे।
लक्ष्मी माता के चले जाने के बाद समस्त देवता गण ब्रह्मा जी के पाए जाते हैं, और उन्हें अपनी सारी समस्या बता दी और तब ब्रह्मा जी ने इसके लिए समुद्रमंथन की युक्ति सुझाई। जिसके बाद देवताओं तथा राक्षसों के बीच समुद्र मंथन हुआ और एक दिन महालक्ष्मी जी प्रकट हुई। और वह दिन था कार्तिक पक्ष की कृष्ण अमावस्या का, और महालक्ष्मी को पाकर इस तरह देवता गण फिर से शक्तिशाली हो गए।
मां लक्ष्मी का समुद्र मंथन से आगमन हो रहा था ,समस्त देवता गण हाथ जोड़कर मां लक्ष्मी की प्रार्थना कर रहे थे, विष्णु भगवान भी उस समय महालक्ष्मी की आराधना कर रहे थे। यही वजह है कि प्रतिवर्ष कार्तिक अमावस्या के दिन लक्ष्मी पूजन किया जाता है उस दिन घरों में दिए जलाकर घरों को रोशन किया जाता है, तथा मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। साथ ही धन के इस मय में कोई गलती ना हो जाए इसलिए मां सरस्वती एवं गणेश भगवान जी की भी आराधना लक्ष्मी पूजा के दिन की जाती है।
क्या है लक्ष्मी पूजा का विधि?
सबसे पहले कोई भी पूजा की शुरुवात सर्वप्रथम गणेश भगवान की पूजा की जाती है। अतः भगवान को स्नान कराएं स्नान कराने के पश्चात उन्हें फूल एवं वस्त्र अर्पित करें।तत्पश्चात मां लक्ष्मी का पूजन करना शुरू करें मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पूजा स्थल में रखकर मां लक्ष्मी का आह्वान करें तथा उन्हें अपने घर बुलाए।
अब मां लक्ष्मी को स्नान कराएं। स्नान से पूर्व जल और उसके बाद पंचामृत तथा फिर से जल से लक्ष्मी मां को स्नान कराएं अब उन्हें वस्त्र अर्पित करें तथा आभूषण एवं माला धारण करवाएं। अब मां को इत्र अर्पित कर कुमकुम का तिलकलगाएं।अब दीपक एवं धूप जलाएं एवं माता के चरणों में गुलाब के फूलों का अर्पित करें उसके बाद बेल पत्थर तथा अन्य पत्ते भी उनके पैरों के पास रखें।
उसके बाद 11 या 21 चावल अर्पित कर मां की आरती करना शुरू करें, आरती के पश्चात परिक्रमा करें तथा उन्हें भोग लगाएं। एवं पूजा करने के दौरान इस मंत्र;ऊँ महालक्ष्मयै नमः का जाप भी करें। तो इस प्रकार मां लक्ष्मी के पूजन विधि को जानने के बाद आइए जानते हैं की लक्ष्मी पूजा का महत्व क्या है।
महत्व क्या है लक्ष्मी पूजा का
युगों से हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन की देवी के रूप में पूजा जा रहा है। इसलिए सभी भक्तगण दीपावली में लक्ष्मी पूजन कर मां से सुख-समृद्धि की आस रखते हैं। इसलिए दीपावली के दिन महालक्ष्मी के आगमन हेतु सांय काल से ही घर रोशन दिखाई देते हैं, तथा भक्तगण महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पूजा अर्चना कर करते हैं।
इसीलिए हिंदुओं के इस विशेष पर्व दीपावली को भारत समेत दुनिया के अनेक देशों में धूम-धाम से मनाया जाता है। दीपावली में लोग एक दूसरे के घर जाकर उन्हें प्रसाद बांटते हैं, दीपावली की बधाइयां देते हैं तथा जो लोग व्यस्त होने की वजह से इस उपलक्ष्य में अपने दोस्तों-रिश्तेदारों से नहीं मिल पाते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें दीपावली की शुभकामनाएं देते हैं। और अपने परिवार के साथ मिल बाटकर दिवाली मनाते है।
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FAQs
दिवाली पर क्यों करते हैं मां लक्ष्मी जी की पूजा?
देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी है। वह सफलता, शक्ति, भाग्य और उर्वरता की देवी भी है। दिवाली पर बहुत सारे लोग उनकी पूजा करते हैं क्योंकि वह अपने जीवन में इन गुणों का आनंद लेना चाहते हैं।
लक्ष्मी पूजा किस दिशा में करें?
पूजा के लिए घर का ईसान कोण सबसे अच्छा स्थान होता है। पूजा मंदिर के उत्तर पूर्व कोने में जहां देवताओं को रखा जाता है। पूजा करने वाले को पूर्व या पश्चिम की ओर मुंह करना शुभ माना जाता है।
2023 में लक्ष्मी पूजा कब होगी?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल लक्ष्मी पूजा 12 नवंबर 2023, दिन रविवार को होगी।
लक्ष्मी पूजा का उद्देश्य क्या होता है?
धार्मिक निष्ठा, उत्सव, मनोरंजन के लिए होता है।
लक्ष्मी पूजा की अनुयायी क्या है?
हिंदू
लक्ष्मी पूजा किसके पालन के लिए किया जाता है?
धन और समृद्धि का उत्सव के लिए किया जाता है।