Mahavir Jayanti 2024: आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, महावीर जयंती, जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला बेहद ही खास पर्व है। बता देँ, यह हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तेरहवीं तिथि को मनाया जाता है, साथ ही इस साल महावीर जयंती 21 अप्रैल को मनाई जा रही है। तो चलिए इसके बारे में पूरी जानकारी जानते है।
भगवान महावीर कौन थे?
जानकारी के लिए आपको बताते चले कि, भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे। उनका जन्म ईसा पूर्व 599 वर्ष माना जाता है। और उनके पिता राजा सिद्धार्थ और माता रानी त्रिशला थीं और बचपन में उनका नाम वर्द्धमान था। बता दें, वे बचपन से ही अध्यात्म और दर्शन में रुचि रखते थे।
वह 30 वर्ष की आयु में उन्होंने अपना घर त्याग कर तपस्या और आत्मज्ञान की खोज करनी शुरू कर दी। कई वर्षों की कठोर तपस्या के बाद उन्हें 527 ईसा पूर्व में ज्ञान प्राप्त हुआ और वे महावीर के नाम से जाने गए। और तो भगवान महावीर ने अहिंसा, अपरिग्रह, सत्य, अस्तेय और ब्रह्मचर्य जैसे पंचशील सिद्धांतों का भी उपदेश दिया था।
जानिए भगवान् महावीर के क्या थे सिद्धांत?
वैसे तो भगवान महावीर का आत्म धर्म जगत की प्रत्येक आत्मा के लिए समान था। और उनका कहना था कि हम दूसरों के प्रति भी वही व्यवहार व विचार रखें जो हमें स्वयं को पसंद हों। यही उनका ‘ जीयो और जीने दो ‘ का सिद्धांत है। उन्होंने न केवल इस जगत को मुक्ति का सन्देश दिया, बल्कि, अपितु मुक्ति की सरल और सच्ची राह भी बताई।
उन्होंने आत्मिक और शाश्वत सुख की प्राप्ति हेतु सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अचौर्य और ब्रह्मचर्य जैसे पांच मूलभूत सिद्धांत भी बताए। इन्हीं सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारकर भगवान् महावीर ‘ जिन ‘ कहलाए। और जिन से ही ‘जैन’ बना है अर्थात जो काम, तृष्णा, इन्द्रिय व भेद जयी है वही जैन है।
क्या है महावीर जयंती मनाने का महत्व?
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि, भगवान महावीर ने अहिंसा को जीवन का सर्वोच्च सिद्धांत माना। और उन्होंने सभी जीवों के प्रति करुणा और प्रेम का संदेश भी दिया। महावीर जयंती अहिंसा के इस महान संदेश को याद दिलाती है और लोगों को सभी प्राणियों के प्रति दयालु होने के लिए प्रेरित करती है।
यहाँ तक की भगवान महावीर ने आत्म-साक्षात्कार को ही जीवन का परम लक्ष्य माना है। और उन्होंने पंच महाव्रतों (अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य और अस्तेय) का पालन करके मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताया। इसलिए यह दिन आत्म-साधना और आत्म-विकास के लिए बहुत ज्यादा प्रेरित करता है।
भगवान महावीर ने समाज सुधारक के तौर पर विशेष भूमिका निभाई। और उन्होंने जातिवाद, लिंगभेद और कई सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई और सभी मनुष्यों को समान मानकर उन्हें समान अधिकार और अवसर प्रदान करने का समर्थन किया है। महावीर जयंती सामाजिक न्याय और समानता के लिए प्रेरित करती है। न धर्म के अलावा कई लोग भी इस दिन को शांति और अहिंसा के संदेश को बढ़ावा देने के लिए मनाते हैं।
भगवान महावीर कहते है, सबको क्षमा करना?
इस विषय में भगवान महावीर कहते है कि, ‘मैं सब जीवों से क्षमा चाहता हूं। जगत के सभी जीवों के प्रति मेरा मैत्री भाव है। मेरा किसी से वैर नहीं है। मैं सच्चे हृदय से धर्म में स्थिर हुआ हूं। सब जीवों से मैं सारे अपराधों की क्षमा मांगता हूं। सब जीवों ने मेरे प्रति जो अपराध किए हैं, उन्हें मैं क्षमा करता हूं। तो मेँ भी किसी भी जीव प्राणियों को हाहंकार नहीं चाहता और मेँ सभी जीवो से समां चाहता हू।
महावीर जयंती कैसे मनाते हैं?
जानकारी के लिए बता दें कि, महावीर जयंती पूरे भारत में जैन समुदाय द्वारा बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। और इस दिन लोग जैन मंदिरों में दर्शन करते हैं। पूजा-अर्चना करते हैं और भगवान महावीर की शिक्षाओं का स्मरण भी करते हैं। इस अवसर पर प्रभात फेरी का भी आयोजन किया जाता है।
इनमें लोग भगवान महावीर की प्रतिमाएं सजाकर भक्ति गीत गाते हैं। और इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व रखा जाता है। लोग सभी जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और कई सामग्री का दान करते हैं। कुछ लोग तो महावीर जयंती के दिन व्रत रखते हैं। और कुछ स्थानों पर भगवान महावीर की शोभा यात्रा भी निकाली जाती है।
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