Ramadan 2024: माह-ए-रमजान या रमजान का महीना इस्लाम धर्म के लोगों के लिए बहुत ही पाक महीना होता है। रमजान शुरू होते ही मुसलमानों के बीच अलग ही उत्साह और खुशी का माहौल देखने को मिलता है जोकि पूरे एक महीने यानी ईद तक होता है। रमजान शुरू होते ही मुसलमान पूरे एक महीने रोजा रखते हैं। अल्लाह की इबादत करते हैं, नेक काम करते हैं, गलत कामों से तौबा करते हैं और फिर रमजान के आखिरी दिन ईद मनाई जाती है।
आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि, रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है कि जोकि शाबान महीने (आठवां महीना) के बाद आता है। बताया जा रहा है कि, इस साल रमजान की शुरुआत सोमवार, 11 मार्च से होगी। हालांकि शाबान के 29वें दिन चांद का दीदार होने के बाद ही रमजान शुरू होने की तारीख तय होती है। तो आइये जानते है कि कब से माह-ए-रमजान या रमजान का पहला रोजा रखा जायेगा?
माह-ए-रमजान का पहला रोजा कब रखा जायेगा?
बता दे कि, अब रमजान का महीना चांद को देखकर बहुत जल्द निर्धारित किया जाता है। सबसे पहले सऊदी अरब में रमजान का चांद दिखाई देता है। यदि सऊदी अरब में रमजान का चांद आज यानी 10 मार्च को दिखाई देता है, तो वहां पहला रोजा 11 मार्च को रखा जाएगा। वहीं भारत और पाकिस्तान में रमजान का चांद सऊदी अरब के चांद के एक दिन बाद दिखता है।
यही कारण है कि, इन देशों में रमजान के रोजे की शुरुआत सऊदी अरब के एक दिन बाद से होती है। ऐसे में भारत में इस साल रमजान की शुरुआत 11 या 12 मार्च से होने की उम्मीद है। अगर यहां 11 मार्च को चांद नजर आता है तो 12 मार्च को पहला रोजा रखा जाएगा। चांद दिखने के अगले दिन से ही रमजान का पवित्र महीना शुरू हो जाता है।
क्या है रमजान के दौरान रोजा में रखे जाने वाले महत्वपूर्ण नियम?
रमजान के दौरान इन महत्वपूर्ण नियमों का पालन जरूर करें।
पहला: रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखे-प्यासे रहना नहीं है, बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है। यानी इस दौरान न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न ही किसी को बुरा कहें।
दूसरा: इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके द्वारा बोली गई बातों से किसी की भावनाओं पर ठेस न पहुंचे।
रमजान के महीने में कुरान पढ़ने का अलग ही महत्व होता है।
तीसरा: हर दिन की नमाज के अलावा रमजान में रात के वक्त एक विशेष नमाज भी पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं।
कितना खास है ये रमजान का महीना?
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि, रमजान का रोजा 29 या 30 दिनों का होता है। इस्लाम धर्म में बताया गया है कि रमजान के दौरान रोजा रखने से अल्लाह खुश होते हैं और सभी दुआएं कुबूल करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस महीने की गई इबादत का फल बाकी महीनों के मुकाबले 70 गुना अधिक मिलता है।
चांद के दिखने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय के लोग सूरज के निकलने से पहले सहरी खाकर इबादतों का सिलसिला शुरू कर देते हैं। सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहा जाता है और सूरज ढलने के बाद रोजा खोलने को इफ्तार कहा जाता है। इस्लाम धर्म के अनुसार, रमजान के महीने में ही पवित्र धर्मग्रंथ कुरआन शरीफ को जन्नत से पृथ्वी पर उतारा गया था। इस दौरान लोग रोजा रखते हैं और जकात करते हैं।
रोजा के लिए क्या होता है इफ्तार?
दिनभर बिना खाए-पिए रोजा रखने के बाद शाम को नमाज पढ़ी जाती है और खजूर खाकर रोजा खोला जाता है। यह शाम को सूरज ढलने पर मगरिब की अजान होने पर खोला जाता है। इसी को इफ्तार नाम से जाना जाता है। इसके बाद मौलाना के मुताबिक किसी को रोजा इफ्तार कराना सवाब का काम है। हदीस में आता है कि अगर कोई शख्स किसी रोजेदार को इफ्तार कराएगा। उसके सारे गुनाह भख्श दिए जाएंगे।
अगर कोई शख्स किसी के साथ इफ्तार में शामिल होता है तो उसे भी इतना ही सवाब मिलता है। एक हदीस में आता है कि “जिस शख्स ने किसी रोजेदार को भरपेट खाना खिलाया अल्लाह पाक कयामत के दिन ऐसा शरबत पिलाएगा कि उसे कभी प्यास नहीं लगेगी।”
इस्लाम धर्म के लिए सहरी क्या होता है?
रोजे की शुरुआत सुबह सूरज निकलने से पहले फज्र की अजान के साथ होती है। रमज़ान के महीने में सहरी करने की भी बेहद फजीलत है। सहरी सुबह सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को कहते हैं। सहरी खाकर ही रोजा रखा जाता है. कहा जाता है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब ने सहरी करने को सुन्नत बताया है। कहते हैं कि सहरी करने से बरकत होती है।
इसलिए सहरी करने से सवाब मिलता है. शाम में सूरज ढलने पर जब रोजा खोलते हैं तो उसे इफ्तार कहते हैं। कहा जाता है कि इफ्तार के समय रोजेदार दिल से जो दुआ मागंते हैं, अल्लाह उनकी तमाम जायज दुआएं कुबूल करता है।
इस्लाम धर्म में आंख, ज़ुबान और कान का भी होता है रोज़ा
जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा, इस्लाम धर्म में रोजे रखने का मतलब सिर्फ खाने और पीने की चीजों से दूरी बनाना नहीं होता है। बल्कि रोजा आंख, जुबान और कान का भी होता है। यानी रोजा रखने के बाद रोजेदार ना गलत बात कर सकता है और ना झूठ बोल सकता है और ना ही किसी की बुराई कर सकता है।
इसी तरह गलत चीजों को देखने और सुनने से भी रोजा टूट जाता है। इसलिए कहा जाता है कि रोजा रखने पर इंसान हर गलत काम और बुराइयों से पाक हो जाता है।
Ramadan 2024 Time Table In India
रमजान कब शुरू होगा | 12 मार्च 2024 |
रमजान की समाप्ति | 9 अप्रैल 2024 |
शब ए कद्र | 6 अप्रैल 2024 |
ईद उल फितर | 10 अप्रैल 2024 |
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