Rapid Rail: भरता में रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिहाज़ से आरआरटीएस (RRTS) क्रांतिकारी क़दम है. इससे आर्थिक गतिविधि को एक अच्छी सहायता मिलेगा। जिससे कि रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के अवसरों तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित कर सकेगा।
जाने Namo Bharat Train की शुरूआत?
भारतीय हाई क्वालिटी परिवहन व्यवस्था के लिए 20 अक्टूबर 2023 इसे हमेशा के लिए ऐतिहासिक महत्व का दिन बनाया। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम की शुरूआत की, और अभी तक की सबसे सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में नए युग की शुरुआत की है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने यूपी के गाजियाबाद में 20 अक्टूबर को रेपिड रेल का शुभारंभ किया। ठीक उसी दिन नरेंद्र मोदी गाजियाबाद में मौजूद होने के बावजूद कार्यक्रम स्थल का योजना बनाएं और आसपास के जितने भी इलाके थे वहां पर 5 हजार जवानों को तैनात कराया गया।
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस (RRTS) गलियारे को, उसी दिन नरेंद्र मोदी ने उनका उद्घाटन भी किया। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में साहिबाबाद रैपिडएक्स स्टेशन पर इनकी शुरुआत की। इसके बाद भारत में रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम यानी RRTS की भी शुरुआत की गई। मौके पर ही प्रधानमंत्री ने साहिबाबाद से दुहाई डिपो को जोड़ने वाली नमो भारत रैपिडएक्स ट्रेन को हरी झंडी से प्रेरित करके और उनका उद्घाटन किया।
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अगले डेढ़ साल में, पूरा हुआ मेरठ खंड का काम?
अब इस गलियारे के तहत साहिबाबाद से दुहाई डिपो को जोड़ने वाली सेवा की शुरूआत को, साथ ही में प्रधानमंत्री ने भरोसा जताया है कि अगले डेढ़ साल में आरआरटीएस (RRTS) के मेरठ खंड का काम कंप्लीट हो चुका रहेगा। इस बात की खुशी से पहले ही Namo Bharat Train में साईं स्टाफ और लोकोमोटिव पायलट अन्य अभी महिलाओं देश के परिवहन व्यवस्था में भागीदारी बढ़ाने के तौर पर भी हो जाना चाहिए।
जानकारी के लिए बता दूं कि उद्घाटन के समय ही नमो भारत ट्रेन का नाम रैपिडएक्स रख दिया। और NCRTC के अधिकारियों ने इस ट्रेन में मेट्रो ट्रेन जैसी सुविधा उपलब्ध कराई गई है। साथ ही इसमें मिनी स्क्रीन सुविधाएं से भी हैं।
जानें Namo Bharat Train गति?
NCRTC की ओर से देखे तो, जैसे आरआरटीएस (RRTS) मेट्रो रेल से अलग है, मेट्रो में इसकी गति 80 किलोमीटर प्रति घंटा है जबकि नमो भारत ट्रेन की गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा है। और यह दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर भारत में कार्यान्वित होने वाली पहली आरआरटीएस (RRTS) परियोजना है, जोकि दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी-अलवर और दिल्ली-पानीपत का कॉरिडोर होगा ।
Note:— शायद आपको पता नहीं होगा, जानकारी के लिए बता दूं कि दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस (RRTS) कॉरिडोर का निर्माण साल 2019 से ही इनको शुरुआत हो गई थी।
सड़कों पर वाहनों की भीड़ में कमी?
रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के तहत नमो भारत ट्रेन आधुनिकता के साथ ही गति में बहुत अधिक प्रतीक होगा। इससे भविष्य में सबसे अधिक फायदा यही होगा कि, कि व्यापक नेटवर्क होने के बाद सड़कों पर वाहनों की भीड़ होनी कम हो जायेगी। इसे आने जाने वाले यात्रियों के लिए बहुत अच्छा साबित होगा। इससे राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्यों के अंदर की मुख्य सड़कों पर गुड्स वाहन की गति बढ़ाने में काफी हद तक मदद मिलेगी। और इसके साथ ही वाहनों की भीड़ में कमी होने से वायु प्रदूषणला भी में प्रभाव कम होने लगेगा।
नागरिक सुविधाओं के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता?
भारत दुनिया की तेज गतिविधि से उभरती हुई अर्थव्यवस्था में से एक है, क्योंकि हम फ़िलहाल दुनिया की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाली देश में है। अगले कुछ सालों में हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेंगे। इसके साथ ही भारत ने 2045 तक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा। इसके लिए देश में बहुत ही गतिविधि है से परिवहन हो रहे है। रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम और रैपिड ट्रेन ‘नमो भारत’ से इसमें काफ़ी मदद मिलेगी। और देश में बुनियादी ढांचा के विकास पर ख़ास तौर जूते हुई है। इस दिशा में तेज गति से काम हो रहे है। कि उसमें नागरिक सुविधाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता मिल सके।
आरआरटीएस में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी पर काम?
भारत में रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम और रैपिड ट्रेन ‘नमो भारत’ भविष्य के भारत के लिए यह मील का पत्थर साबित होने वाला है। रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के तहत पहला खंड यानी की दिल्ली-मेरठ खंड क़रीब 80 किलोमीटर और दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस गलियारे के तहत जिस 17 किलोमीटर लंबे खंड का प्रधानमंत्री ने उद्घाटन किया। उसके तहत गाजियाबाद, गुलधार और दुहाई स्टेशनों के साथ साहिबाबाद ‘दुहाई डिपो’ अच्छे से जुड़ा हुआ है।
रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के तहत पहले चरण में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कई क्षेत्रों को नमो भारत ट्रेन से जोड़ा जायेगा. धीरे-धीरे देश के दूसरे हिस्सों में भी रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के तहत रैपिड रेल सेवा की शुरूआत की जायेगी। और ऐसा होने पर स्थानीय स्तर पर कनेक्टिविटी में सुधार होने संभावना बहुत ज्यादा है। साथ ही में रोजगार के नए अवसरों भी मिलेंगे।
दशक के अंत तक रेलवे का कायाकल्प?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तो मानना है कि 21वीं सदी का तीसरा दशक भारतीय रेल सेवा के बदलाव का दशक बन चुका है, और उस नज़र से देखें तो रैपिड रेल सेवा से अगले कुछ ही सालों में भारतीय रेलवे की तस्वीर पूरी तरह से बदल सकती है। अगर ऐसा हुआ तो इस दशक केआख़िर तक दुनिया के किसी देश के मुक़ाबले भारतीय ट्रेन पीछे नहीं रहने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस बात पर अपनी राय दिया है। भारतीय रेल 100 फ़ीसदी विद्युतीकरण के लक्ष्य को हासिल करने के बहुत ही करीब है।
एक बार फिर से प्रधानमंत्री ने नमो भारत से पहले वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेनों और अमृत भारत रेलवे स्टेशन योजना के तहत रेलवे स्टेशन को आधुनिक बनाने पर तेज़ी से विकसित हो रही है। और नमो भारत या मेट्रो ट्रेनों जैसी आधुनिक ट्रेनों पर केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित योजना के तहत 3लाख करोड़ रुपये को खर्च किए गए है। नरेंद्र मोदी का मानना है कि वंदे भारत और अमृत भारत रेलवे स्टेशन त्रिवेणी से इस दशक के आख़िर तक भारतीय रेल के आधुनिकीकरण का निर्माण करेगी।
आठ आरआरटीएस कॉरिडोर की पहचान?
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, एनसीआर (एनसीआर) में फ़िलहाल तैयार करने के लिए कुल आठ आरआरटीएस (RRTS) कॉरिडोर की पहचान की गई है। और साथ ही में इनमें से तीन कॉरिडोर को पहले ही चरण में लागू कर दिया। इसमें दिल्ली-गाजियाबाद- मेरठ कॉरिडोर, दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी-अलवर कॉरिडोर और दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर ये सभी शामिल है।
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस (RRTS) पर 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आयेगी, जिसका सबसे खास बात यह है कि गाजियाबाद, मुरादनगर और मोदीनगर के शहरी केंद्रों से गुजरते हुए एक घंटे से भी कम समय की लागत में इस ट्रेन के सहायता से दिल्ली से मेरठ या मेरठ से दिल्ली पहुंच सकते है।
जब भविष्य में पूरे देश आरआरटीएस (RRTS) का नेटवर्क फैल जायेगा। तो इससे देश में एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए लोगों को सुरक्षित, विश्वसनीय और आधुनिक के साथ ही तेज़ आवागमन की सेवा का लाभ मिलेगा। और पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के मुताबिक़ इसका विकास होना अनिवार्य है। इसके तहत आरआरटीएस (RRTS) नेटवर्क में रेलवे स्टेशनों, मेट्रो स्टेशनों, बस सेवाओं को जो़ड़ते हुए परिवहन व्यवस्था को व्यापक मल्टी-मॉडल-एकीकरण का रूप देने का निर्णय लिया जा रहा है।
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