RBI MPC Meeting: आपकी जानकारी के लिए बात दूं कि, भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक 3 अप्रैल से 5 अप्रैल तक चल रही है। कमेटी की इस बैठक में फाइनेंशियल ईयर 2024-2025 की यह पहली बैठक है। ऐसे में आपकी लोन EMI सस्ती होगी या महंगाई का बोझ बढ़ेगा इसका फैसला आज यानी शुक्रवार सुबह 10 बजे हो जाएगा। RBI गवर्नर की अध्यक्षता में चल रही इस बैठक से लोग रेपो रेट में कटौती की उम्मीद लगाए बैठे है। रेपो रेट में कटौती होने पर लोगों के लोन की EMI कम हो जाएगी।
दअरसल, लंबे समय से RBI ने रेपो रेट में कटौती नहीं की है। साथ ही विशेषज्ञों के अनुसार, नए वित्त वर्ष में एक बार फिर भारतीय रिजर्व बैंक लोगों को राहत दे सकता है। और जानकारों की माने तो इस तिमाही भी केंद्रीय बैंक की तरफ से रेपो रेट में इजाफा नहीं किया जाएगा। 5 अप्रैल यानी आज RBI की मौद्रिक समिति रेपो रेट का ऐलान करेगी। तो चलिए इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी जानते है।
सालों से एक ही अवस्था में है रेट?
आपकी जानकारी के लिए बात दे कि, RBI करीब एक साल से रेपो रेट में 6.50 फीसदी पर स्थिर रखा-का-रखा ही है। RBI ने रेपो रेट आखिरी बार पिछले साल फरवरी 2023 में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी कर 6.25 फीसदी से 6.50 फीसदी कर दिया था। वहीं, दिसंबर, 2023 में खुदरा महंगाई दर 5.69 फीसदी के स्तर पर थी। ऐसे में इस बार भी रेपो रेट में बदलाव की संभावना कम थी। रियल एस्टेट के दिग्गजों ने भी यह उम्मीद जताई थी कि डेवलपर्स और होम बॉयर्स को ध्यान में रखते हुए RBI रेपो रेट को स्थिर रखेगा।
इस फिल्ड में होगा ज्यादा फायदा?
बता दे कि, नए वित्त वर्ष की पहली मीटिंग से जिस सेक्टर के खुश होने की खबरें सामने आ रही हैं। वो कोई और नहीं बल्कि रियल एस्टेट ही है। इस सेक्टर से जुड़े एक्सपर्ट का अनुमान है कि RBI फिर से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा। इसका सीधा मतलब यह है कि RBI ब्याज दरों में कोई इजाफा नहीं करेगी। वैसे आम लोग इस बात की आस लगाए बैठे हैं कि आखिर उन्हें इस बढ़ी हुई महंगाई से कब निजात मिलेगी।
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— ABP LIVE (@abplive) April 5, 2024
क्या होता है रेपो रेट?
आपकी जानकारी के लिए बात दे कि, देश के सभी बैंक केंद्र बैंक से कर्ज लेते हैं। केंद्र बैंक जिस दर पर कर्ज देता है उसे दर को रेपो रेट कहते है। यदि रेपो रेट में कटौती होती है तो लोन की EMI कम हो जाती है। वहीं, अगर रेपो रेट में इजाफा होता है तो लोन की EMI बढ़ जाती है। बैंक रेपो रेट के आधार पर ही लोन की EMI में बदलाव करती है। साथ ही रेपो रेट के बढ़ जाने से मनी फ्लो कम जाता है। वहीं रेपो रेट में कटौती से मनी फ्लो भी बढ़ जाता है।
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