Satta Matka या सट्टा किंग एक तरह का जुआ का खेल है, जोकि भारत की आज़ादी से पहले शुरू हुआ था। Satta Matka एक लॉटरी खेल भी कहा जाता है, जोकि 1950 के दशक में शुरू हुआ था। लेकिन, अब यह एक बहुत लोकप्रिय खेल है। दरअसल, भारत में जुआ खेलना गैरकानूनी है, फिर भी बहुत से लोग अपनी किस्मत आजमाने के लिए इसमें भाग लेते हैं, तो आइये इसे अच्छे से समझते है।
सट्टा मटका खेल का इतिहास
Satta Matka एक प्रकार से एक जुआ खेल होता है, इसे भारत के आजादी से पहले ही शुरू किया गया था। लेकिन, आजादी के बाद से भारत में हर तरह का जुआ गैरकानूनी का दर्जा दिया गया है। इसके बावजूद भी सट्टा मटका को हमारे देश में खेला जाता है।
इस खेल की शुरुआत 90 के दसक में किया गया था। इसे सबसे पहले Kolkata FF, Gajiyabad Satta King, UP Satta King और Fatafat FF जैसे नामों से जाना जाता था। इस खेल की प्रशंसा देश भर में करोड़ों लोगों द्वारा की जाती है और लोग हर हफ्ते इस खेल को खेल कर अपनी किस्मत भी आजमाते हैं।
सट्टा मटका को नया रूप रतन खत्री ने दिया
वर्ष 1961 में न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज के प्रतिबन्ध लगाने के बाद से इस जुवा खेल में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिला। पाकिस्तान के सिंध से आए रतन खत्री ने अंकड़ा जुगर का एक नया रूप लांच किया, जिसे आज हमलोग “मटका” के नाम से भी जानते है। बता दें “मटका” शब्द का अर्थ है “खेल में नंबर निकालने के लिए उपयोग किया जाने वाला मिट्टी का बर्तन।” आज के समय में भी इस खेल को लोगप्रिय माना जा रहा है।
जानिए सट्टा मटका का वर्तमान स्वरूप
आज के इस टेक्नोलॉजी और इंटरनेट के जनरेशन में Satta Matka एक जुवा खेल या यूँ कहें लॉटरी गेम जैसा खेला जाता है, जिसमे संख्याओं का अंदाज़ा लगाकर पुरुस्कार जीता जाता है। दरअसल, खेल को खेलने के लिए बहुत सारी जोखिम का भी सामना करना पड़ता है एक बात याद रखें की यह एक अवैध यानि गैरकानूनी है।
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