Sudeep Maiti Success Story: अक्सर यह माना जाता है कि जब किसी परिवार का बेटा सही रास्ता चुनता है, तो वह पूरे परिवार को उसी दिशा में चलने के लिए प्रेरित करता है। ऐसी ही कहानी एक राजमिस्त्री के बेटे सुदीप मैती की कहानी में सामने आती है, जिसने अपने सपनों को पूरा करने के लिए गरीबी की बाधाओं को हराया। घर में चुनौतीपूर्ण वित्तीय परिस्थितियों के बावजूद, सुदीप लचीला और दृढ़ संकल्पित रहे। परिणामस्वरूप, उन्हें देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक, डीआरडीओ में काम करने का अवसर मिला।
सुदीप का बचपन से ही देश के रक्षा क्षेत्र में सेवा करने का सपना था, गरीबी की चुनौतियों के बावजूद यह सपना अब हकीकत बन गया है। पश्चिम बंगाल के पांशकुरा ब्लॉक के पुरूषोत्तमपुर ग्राम पंचायत के अंतर्गत मोहम्मद मुराद मैती पारा क्षेत्र के रहने वाले सुदीप मैती को राष्ट्रीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, डीआरडीओ में काम करने का अवसर मिला। एक साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले सुदीप का परिवार, जिसमें उनके दादा गोविंदा मैती भी शामिल थे, जो राजमिस्त्री का काम करते थे, गरीबी से जूझ रहे थे। गोविंदा बाबू के आजीवन निर्माण कार्य में लगे रहने के बावजूद, परिवार आर्थिक तंगी के कारण अपना घर बनाने में सक्षम नहीं था।
पिता अपाहिज तो माँ ऐसे पढ़ाई अपने बच्चों को
सुदीप के पिता पेशे से राजमिस्त्री हैं, लेकिन वह बहुत लंबे समय से बीमार हैं। नतीजतन, परिवार चलाने की जिम्मेदारी मां के पास है। उसकी मां बीड़ी बांधने का काम करती हैं, लेकिन गरीबी और संसाधनों के अभाव को उसने आगे नहीं आने दिया। हालाँकि, अब इस परिवार के बेटे को रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) से फोन आया है। गरीब परिवार के इस प्रतिभावान छात्र की सफलता से उसके रिश्तेदार, पड़ोसी और क्षेत्रवासी बेहद खुश हैं। इस छात्र ने बचपन से ही देश की रक्षा में शामिल होने का सपना देखा था।
ये कहानी है पंसकुरा के सुदीप मैती की, जिसे देश के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानि डीआरडीओ में मौका मिला है। लेकिन आपको जानकारी के लिए बता दें कि, सुदीप का जीवन अत्यन ही विषम प्रस्थिति में गुजरा हैं। उनके पिता पहले राजमिस्त्री का काम किया करते थे। लेकिन वह अब इस काम को करने में असमर्थ है। क्योंकि वह पूरी तरह से बीमारी के वजह से अपाहिज हो गए है।
कहां से है सुदीप मैती
जानकारी के लिए आपको बता दूं कि, सुदीप पांशकुड़ा ब्लॉक के पुरूषोत्तमपुर ग्राम पंचायत के तहत आने वाले मोहम्मद मुराद मैती पारा इलाके का निवासी है। सुदीप के बूढ़े पिता गोविंदा मैती पेशे से राजमिस्त्री हैं। उनके घर में तीन बेटे-बेटियां हैं. पूरी जिंदगी दूसरों के लिए घर बनाने वाले गोविंदा अपने और अपने परिवार के लिए घर नहीं बना सके। दरअसल राजमिस्त्री की कमाई से इतने पैसे नहीं जमा कर पाए कि वो अपने परिवार के लिए एक छत तैयार कर सकें।
सुदीप मैती की पढ़ाई
सुदीप ने गांव के चक दुर्गा प्राइमरी स्कूल में अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पूरी की है। लेकिन सुदीप बचपन से ही बहुत प्रतिभाशाली था। साइंस में पूर्वाचिल्का लालचंद हाई स्कूल से हायर सेकेंडरी में उन्होंने 70% अंकों के साथ परीक्षा पास की, इसके बाद उन्होंने पॉलिटेक्निक कॉलेज, सियालदह से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा पूरा किया। फिर उन्होंने कोलकाता के एक निजी कॉलेज से बीटेक की पढ़ाई की, वर्तमान में वो IIT गुवाहाटी में Mtech की पढ़ाई पूरी कर रहे हैं।
जानें क्या कहा सुदीप ने
वे बहुत दुःखी से बताते है कि, “पिछले साल मेरे पिता का अचानक एक्सीडेंट हो गया और उनकी कमर की हड्डीटूट गई, जिसकी वजह से वह अब काम नहीं कर सकते है। परिवार चलाने के लिए मां अब भी बीड़ी बांधती हैं। मेरे सिर पर छत नहीं है। फिर भी डीआरडीओ पहुंचने का सपना खुद को समर्पित करना था।” मैं देश की रक्षा के काम से जुड़ने वाला हूं और अपने इस लक्ष्य को हासिल करके बेहद खुश हूं। सुदीप की ये सफलता हर उस गरीब छात्र की सफलता है, जो अपने संघर्षों से लड़कर सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत कर रहा है।
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