How to Save Tax on Share Market Earning: Income Tax Return फाइल करते वक्त हर शख्स सोचता है कि कैसे टैक्स बचाया जाए। यहां समझने की बात ये है कि टैक्स सिर्फ एक दिन में नहीं बचाया जा सकता है, बल्कि इसके लिए आपको साल शुरू होते ही प्लानिंग शुरू करनी होती है।
देश में बड़ी आबादी Share Market, Mutual Funds, Gold या प्रॉपर्टी में निवेश करती है। निवेश और बचत के पीछे लोगों का उद्देश्य कमाई का होता है। अब चूंकि कमाई हो रही है, तो Income Tax का भी हिसाब बनता है। कमाई कहीं से भी हो तो Income Tax की देनदारी बनती है।
Share Market या Mutual Funds भी अपवाद नहीं हैं। हां, कुछ ऐसे उपाय जरूर हैं, जो Tax Saving करने में आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं। अगर आपको इसके बारे में नहीं पता है कि इसको कैसे करे तो आइये इसके बारे में जानते हैं।
Income Tax के कानून पर छूट का प्रावधान
म्यूचुअल फंड से हुई कमाई में कानून का प्रावधान पर भारी छूट दिया हुआ है। Income Tax के कानून के मुताबिक, आपको Income Tax बचाने में अपना घर मदद कर सकता है। इनकम टैक्स कानून कहता है कि अगर आप रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी यानी मकान बेचकर मिले मुनाफे से नया घर खरीदते हैं, तो सेक्शन-54 के तहत टैक्स छूट मिलती है।
वहीं, रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी को छोड़कर किसी दूसरी संपत्ति जैसे- शेयर, म्यूचुअल फंड, गोल्ड, जमीन समेत कमर्शियल प्रॉपर्टी को बेचकर मिले पैसों से नया घर खरीदने पर Section-54F के तहत Tax छूट मिलती है।
हालांकि सेक्शन 54F के तहत Tax छूट Clome करने के लिए कुछ शर्तें हैं। पहली शर्त- संपत्ति बेचने से होने वाली कमाई यानी मुनाफा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) होना चाहिए। दूसरी शर्त- Tax छूट के लिए सिर्फ मुनाफा नहीं बल्कि बिक्री से मिली पूरी रकम से घर खरीदना होगा। ताकि Income Tax Department में कोई परेशानी न हो।
कब माना जाएगा Long Term Gain
कोई भी व्यक्तिगत आय देश में कराधान के लिए उत्तरदायी है। भारत सरकार के पर्व्यू के तहत इनकम टैक्स विभाग द्वारा निर्धारित स्लैब हैं जो यह निर्धारित करते हैं कि किस प्रतिशत का टैक्स उनकी आय के आधार पर लागू होगा।वेतन की तरह, प्रॉपर्टी, स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आर्ट कलेक्टिबल आदि जैसे एसेट में इन्वेस्टमेंट से होने वाली आय भी टैक्स योग्य है, होल्डिंग अवधि पर निर्भर दर, यह आर्टिकल इक्विटी इन्वेस्टमेंट, इसकी लागूता और गणना पर दीर्घकालिक पूंजी लाभ टैक्स में गहरा विकास करता है।
किसी Asset को बेचने से हुआ मुनाफा Long Term Capital Gain है या नहीं, यह होल्डिंग पीरियड यानी संपत्ति को कितने समय अपने पास रखकर बेचा गया है, इस पर निर्भर करेगा। अलग-अलग संपत्ति के लिए LTCG का क्राइटेरिया अलग है। उदाहरण के लिए, शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड खरीदने के 12 महीने बाद बेचने पर उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल एसेट और उससे होने वाली मुनाफे को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाता है।
इस तरह से बचेगा Income Tax
Income Tax कानून के सेक्शन 24B के तहत भी टैक्स छूट मिलती है। आपने घर बनाने के लिए अगर बैंक से होम लोन लिया है तो इसकी मासिक किस्त में कुल 2 लाख रुपये तक के ब्याज पर आपको आयकर छूट मिलती है।
इसी तरह घर की मरम्मत आदि के लिए 30 हजार रुपये तक के लोन पर भी आयकर छूट मिलती है।नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में सेक्शन 80CCD (2D) के तहत बेसिक सैलरी के 10% तक के निवेश पर आपको सेक्शन 80C से अलग Income Tax छूट का लाभ मिलता है।
निवेश पर यह छूट सभी Tax स्लैब में आने वाले करदाताओं को मिल सकती है। आयकर कानून की धारा 80D में भी Tax छूट का प्रावधान है। इसमें आप स्वयं, पति/पत्नी और बच्चों के हेल्थ इंश्योरेंस के लिए दिये गए प्रीमियम की रकम पर आयकर छूट प्राप्त कर सकते हैं।
इसमें टैक्स छूट के दायरे में 25,000 रुपये तक का प्रीमियम आता है। आप अपने पैरेंट्स के लिए हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने पर 25,000 रुपये के प्रीमियम पर आयकर छूट पा सकते हैं। अगर आपके पैरेंट्स सीनियर सिटीजन हैं तो आप उनके लिए हेल्थ इंश्योरेंस के 30,000 रुपये तक के प्रीमियम पर आयकर छूट प्राप्त कर सकते हैं। इस तरह आप खुद और सीनियर सिटीजन पैरेंट्स के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेकर 55,000 रुपये तक के प्रीमियम पर टैक्स बचा सकते हो।
3 साल तक नहीं बेच पाएंगे घर
सूत्रों ने अनुसार, प्रधानमंत्री आवास योजना की समीक्षा हेतु पिछले दिनों मीटिंग हुई। मीटिंग में पीएमओ, वित्त मंत्रालय और अन्य संबंधित मंत्रालयों के उच्चाधिकारियों ने हिस्सा लिया। इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना में लॉक इन पीरियड को तय करने की सिफारिश की गई। इस सिफारिश को पीएमओ ने सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी है। अब कैबिनेट के जरिए इसे लागू किया जाएगा।
गौरतलब है कि सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के नियमों में हाल ही में बदलाव किया था। इस बदलाव के तहत अगर किसी व्यक्ति की सालाना आमदनी 18 लाख रुपये तक है तो अब वह सस्ते घरों की योजना में 21,500 स्क्वेयर फीट तक का घर खरीद सकता है। ऐसे घरों में उसको होम लोन पर ब्याज सब्सिडी के तौर पर 2 लाख 30 हजार की बचत हो सकती है। नए नियमों में सरकार ने मध्य आय वर्ग यानी एमआईजी घरों की कैटिगरी 1 और कैटिगरी 2 के साइज में अच्छी-खासी बढ़ोतरी कर दी है।
टैक्स छूट के लिए पुरानी एसेट ट्रांसफर होने यानी म्यूचुअल फंड यूनिट बेचने की तारीख से 2 साल के अंदर नया मकान खरीदना होगा। निर्माण की स्थिति में घर 3 साल के अंदर बन जाना चाहिए। अगर आप नया घर पुरानी एसेट बेचने से एक साल पहले भी खरीदते हैं तो छूट का लाभ उठा सकते हैं। जिस घर के लिए आपने सेक्शन 54एफ का एग्जम्पशन लिया है, उसे खरीदने या बनवाने के 3 साल के अंदर नहीं बेच सकते हैं, वरना एग्जम्प्शन समाप्त हो जाएगा और टैक्स भरना पड़ेगा।
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