Teachers Day Speech in Hindi: हर साल की तरह इस साल भी 5 सितंबर का दिन देश के तमाम शिक्षकों के नाम होता है। इस दिन को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है, और इस अवसर पर पूरे देशभर के शिक्षण संस्थानों में कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है।
इस कार्यक्रम में निबंध लेखन, भाषण, GK Quiz जैसी प्रतियोगिताएं भी कराई हैं। अगर आप भी चाहते है कि, इस प्रतियोगिताएं में भाग ले और अपने भाषण से पूरे महफ़िल में रौनक छा जाएं, तो चलिए इसके बारे में जनते है।
शिक्षक दिवस पर दे ऐसे शानदार भाषण
सबसे पहले मंच पर जाएं, सभी को प्रणाम करें और अपना भाषण शुरू करें। शिक्षक दिवस पर भाषण देने के लिए सबसे पहले डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में बताना होगा। इस दौरान उन्हें नमन करते हुए अपने भाषण को आगे बढ़ाना चाहिए, तो आइये इसे स्टेप से समझते है।
“आदरणीय गुरूजी प्रणाम और यहां मौजूद सभी साथियों को मेरा नमस्कार। जैसा कि आप जानते हैं कि आज हम सब यहां शिक्षक दिवस के अवसर पर एकत्रित हुए हैं।
मैं सबसे पहले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को प्रणाम करता हूं। साथियों डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के महान शिक्षकों में से एक थे, और उन्होंने हमेशा अपने छात्रों को मार्गदर्शन किया। एक गरीब तेलुगु ब्राह्मण परिवार से आने वाले डॉ. राधाकृष्णन ने अपनी पूरी शिक्षा छात्रवृत्ति के माध्यम से पूरी की।
साथियों साथियों डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर किया, और वर्ष 1917 में उनकी ‘द फिलॉसफी ऑफ रवींद्रनाथ टैगोर’ पुस्तक प्रकाशित हुई। उन्होंने 1931 से 1936 तक आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में भी कार्य किया। इसके बाद मदन मोहन मालवीय और फिर 1939 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कुलपति भी बने।
अब सबके मन में यह भी सवाल आया होगा कि, आखिर 5 सितंबर को ही शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है? अपने पूरे जीवन में डॉ. राधाकृष्णन एक प्रतिभाशाली और प्रिय शिक्षक थे। साल 1962 में वे भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे। उसी दौरान उनके पूर्व छात्रों ने उनके जन्मदिन को एक विशेष दिन के रूप में मनाने के लिए उनसे संपर्क किया।
जब वह डॉ. राधाकृष्णन से मिले तो उन्होंने छात्रों से अनुरोध किया कि वे हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए ताकि समाज में शिक्षकों के अमूल्य योगदान को मान्यता दी जा सके।
इसके आलावा उन्होंने अपनी कई उपलब्धियों के बावजूद हमेशा खुद को एक शिक्षक मानते थे। भारत के पहले उपराष्ट्रपति को सम्मानित करने और हमारे जीवन में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करने के लिए उनकी याद में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
यहाँ तक कि, डॉ. राधाकृष्णन के बारे में पंडित नेहरू जी के विचार हमेशा पॉजिटिव रहे। और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक बार डॉ. राधाकृष्णन के बारे में विश्लेणा किया था, कि उन्होंने कई क्षमताओं में अपने देश की सेवा की है। लेकिन सबसे बढ़कर, वे एक महान शिक्षक हैं, जिनसे हमने बहुत कुछ सीखा है और सीखते रहेंगे। आज हमारे लिए राष्ट्रपति के रूप में वे एक महान दार्शनिक, महान शिक्षाविद् और महान मानवतावादी होना भारत का विशेष सौभाग्य है।
अंत में में अपनी वाणी को विराम देते हुए सबको धन्यवाद करता हूँ।