Bhai Dooj (भाई दूज) क्यों मनाई जाती है ?

भाई दूज का त्योहार रक्षाबंधन की तरह बड़ा महत्व रखता है। यह त्योहार भाई और बहनों के अनोखे रिश्ते को मजबूत करता है।

भाई दूज के दिन सभी बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं। उनकी कलाई पर मौली बांधती हैं और फिर नारियल का गोला देती हैं।

भाई दूज के दिन बहन भाई के अच्छे स्वास्थ्य, लंबी उम्र और समृद्धि की कामना भी करती है।भाई भी अपनी बहन को हर बुराई से बचाने का वादा करते हैं।

इस त्योहार को देश भर में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। इसे पश्चिम बंगाल में भाई फोटा, महाराष्ट्र में भाऊ बीज, बिहार/झारखंड में यम द्वितीया के रूप में जाना जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भाई दूज के दिन अगर भाई यमुना नदी में स्नान करते हैं, तो उन्हें यमराज के प्रकोप से मुक्ति भी मिलती है।

वहीं पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भाई यमराज ने अपनी बहन यमुना को वरदान दिया था, जिसके बाद से कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज मनाया जाने लगा।

पौराणिक कथाओं की मानें तो, यम यानी यमराज और उनकी बहन यमुना, भगवान सूर्य और छाया के संतान थे। दोनों भाई-बहन में बहुत प्यार था

हालांकि, यमराज अपने काम में इतने व्यस्त रहते थे कि उनको यमुना के पास जाने का समय ही नहीं मिलता था। लंबे समय तक जब यम नहीं मिले, तो बहन यमुना नाराज़ हो गईं।

एक दिन भाई यमराज अचानक अपनी बहन यमुना से मिलने पहुंच गए। भाई को सामने देख यमुना बेहद खुश हो गईं। उस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया थी।

तभी से भाई दूज का त्यौहार, सभी बहने अपने भाइयों के लिए करती है। यह त्यौहार लगभग रक्षाबंधन के तरह ही होता है।

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