जानें Kanakadasa Jayanthi से जुड़े कुछ रहस्य

By: Resham Singh

संत-कवि कनक दास, जिनका जन्म 3 दिसंबर, 1509 को थिमप्पा नायक के रूप में हुआ था।

संत-कवि कनक दास जी का कीर्तन और उगभोग (कन्नड़ में कर्नाटक संगीत रचना) में एक प्रसिद्ध नाम हैं।

कनक दास की जयंती पर, कर्नाटक इस बहुमुखी व्यक्तित्व को श्रद्धांजलि देते हुए कनक दास जयंती मनाता है।

इस वर्ष, कनकदास जयंती या कनक जयंती 30 नवंबर, 2023 को संत कनक दास के 524वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाई जाएगी।

कनकदास न केवल एक महान कवि और संगीतकार थे बल्कि एक उत्कृष्ट वक्ता और विद्वान भी थे। उनके व्याख्यानों से लोगों में ज्ञान का प्रकाश फैला।

कनकदास ने कन्नड़ साहित्य को एक अमूल्य उपहार दिया है। उनके कीर्तन कन्नड़ साहित्य में एक खजाना हैं।

कनकदास जी ने कन्नड़ भाषा को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कनकदास जी ने संदेश देते हुए कहा भक्ति भगवान से प्रेम करना है, ईश्वर में विश्वास रखना ही श्रद्धा है।

और उन्होंने ये भी कहा की सभी से प्रेम करना ही प्रेम है, ज्ञान को सत्य समझना है।

कनक दास का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, लेकिन उनमें अपार बुद्धि और साहस था। उन्होंने अपना जीवन भक्ति और साहित्य को समर्पित कर दिया।

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