Women’s Day 2024: हर वर्ष कि भांति इस वर्ष भी 8 मार्च को दुनियाभर की तरह भारत में भी महिला दिवस (Women’s Day) मनाया जाएगा। हालांकि पिछले दशकों के दौरान देश में आधी आबादी की स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है। लेकिन अभी भी समाज को ऐसा बनने में कई सुधारों की जरूरत है, जहां महिलाएं निर्भीक होकर चल सकें। ऐसे में भारतीय संविधान ने महिलाओं को ऐसे कई अधिकार दिए हैं, जो बराबरी की उनकी लड़ाई को आसान कर सके।
यहां हम ऐसे ही 10 कानूनी अधिकारों का जिक्र कर रहे हैं जिनकी जानकारी प्रत्येक भारतीय महिला को होनी चाहिए। तो आइये महिला के उन दस अधिकारों के बारे में जानते है जिनके बारे में बहुत कम महिलाओ को ही पता हैं।
जानिए 2024 में कब है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस?
हर साल कि भांति इस साल भी इंटरनेशनल वुमेन डे (International Women’s Day) को 8 मार्च को मनाया जाएगा। महिलाओं को पूर्ण रूप से सशक्त बनाने के लिए हर साल 8 मार्च को विश्वस्तर पर इस कार्यक्रम का आयोजन कराया जाता है। हर साल 8 मार्च को महिलाओं को सशक्त बनाने वाले इस दिन को विश्व स्तर पर मनाते हैं। इस दिन को मनाने की शुरुआत 1909 में हुई थी।
क्या है इस इंटरनेशनल वुमेन डे का इतिहास?
इस दिन की शुरुआत कुछ इस तरह हुई। साल 1908 में अमेरिका की सड़को पर वर्कर प्रोटेस्ट हुआ था। इस आंदोलन में करीब 15 हजार महिलाएं शामिल हुई, जो न्यूयॉर्क की सड़कों पर अपने हक (नौकरी और मेहनताना बढ़ाया जाए) की मांग कर रही थी। इसके साथ ही इस मांग में महिलाओं के मतदान करने की मांग भी शामिल थी। इस बात की खबर जब सरकार को हुई उसके एक साल 1909 में अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने महिला दिवस (Women’s Day) मनाने का घोषणा की।
आखिर 8 मार्च को ही क्यों मनाते हैं इंटरनेशनल वुमेन डे?
सबके मन में अब यह भी प्रश्न आ रहा होगा कि, आखिर इस (Women’s Day) दिवस को मनाने के लिए 8 मार्च ही क्यों चुना गया तो आपको बता दें कि 8 मार्च को अमेरिका की वर्कर महिलाओं ने अपने अधिकारों की मांग के लिए आवाज उठाई थी। जिसके बाद सोशलिस्ट पार्टी ने इस दिवस को मनाने का एलान किया। साल 1917 में फर्स्ट वर्ल्ड वार के दौरान रूस की महिलाओं ने ब्रेड और पीस के लिए आंदोलन किया।
इस आंदोलन के बाद रूस के ‘सम्राट निकोलस’ ने अपने पद से इस्तीफा दिया और महिलाओं के मतदान को अनुमति मिली। इस सभी स्थितियों को देखते हुए यूरोप की महिलाओं ने 8 मार्च को पीस ऐक्टिविस्ट्स का समर्थन करते हुए रैलियां निकाली। इन कारणों की वजह से 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने 8 मार्च को ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ की मान्यता दे दी।
2024 में महिला दिवस की थीम क्या रखी गई हैं?
पिछले साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (Women’s Day) की थीम ‘एम्ब्रेस इक्विटी’ पर रखी गई थी। साल 2024 में वुमेन्स डे की थीम ‘इंस्पायर इंक्लूजन’ है, जिसका अर्थ एक ऐसी दुनिया,जहां हर किसी को बराबर का हक और सम्मान मिले।
हर महिलाओं को पता होनी चाहिए ये 08 कानून?
भारतीय संविधान की धारा 498
यह धारा महिलाओं को मौखिक, आर्थिक, भावनात्मक और यौन शोषण सहित घरेलू हिंसा से बचाती है। पीड़ित महिलाओं द्वारा इस सेक्शन में शिकायत दर्ज करवाने पर अपराधियों को गैर-जमानती कारावास का सामना करना पड़ सकता है।
गिरफ्तारी संबंधी
असाधारण परिस्थितियों के अलावा महिलाओं को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। यह भी तब जब जब तक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के आदेश के साथ ही संभव हो सकता है। कानून यह भी कहता है कि महिला आरोपी से पुलिस एक महिला कांस्टेबल और परिवार के सदस्यों या दोस्तों की उपस्थिति में ही पूछताछ कर सकती है।
महिला की ही मौजूदगी में हो मेडिकल जांच
भारतीय कानून यह निर्देश देता है कि यदि किसी महिला पर किसी आपराधिक मामले का आरोप है तो उसकी मेडिकल जांच किसी अन्य महिला द्वारा या उसकी उपस्थिति में ही की जानी चाहिए। ताकि किसी भी परिस्थिति में महिला की गरिमा के अधिकार का उल्लंघन ना हो सके। यह प्रावधान महिलाओं की गोपनीयता की रक्षा करता है और कानूनी प्रक्रियाओं में सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करता है।
मुफ्त कानूनी सहायता
कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत बलात्कार पीड़ित महिलाएं मुफ्त कानूनी सहायता की हकदार हैं। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि इस मुश्किल वक्त के दौरान पीड़ित महिलाओं को उचित और निशुल्क कानूनी सहायता प्राप्त हो सके। ताकि उन्हें न्याय मिलने में मुश्किल का सामना ना करने पड़े।
कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम
यह अधिनियम वर्क प्लेस पर महिलाओं को किसी भी प्रकार के यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का अधिकार देता है। यह अधिनियम शिकायतों के समाधान के लिए आंतरिक शिकायत समितियों की स्थापना करने की भी पैरवी करता है, जो महिलाओं के लिए एक सुरक्षित वर्क प्लेस तैयार कर सके। विशाखा गाइडलाइन्स जैसी कवायद भी कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं।
समान वेतन
समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार, महिलाओं को समान काम के लिए समान वेतन पाने का अधिकार है। भारतीय संविधान यह सुनिश्चित करता है कि लिंग के आधार पर वेतन, पारिश्रमिक या मजदूरी के मामले में कोई भी भेदभाव ना हो सके।
IPC की धारा 354D
यह उन व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने में सक्षम बनाती है जो बार-बार व्यक्तिगत बातचीत या इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के माध्यम से महिलाओं का पीछा करते हैं। यह प्रावधान पीछा करने के अपराध को संबोधित करता है और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
यौन अपराध पीड़ितों के लिए
यौन अपराधों से पीड़ित महिलाओं की गोपनीयता और सम्मान की रक्षा के लिए, महिलाओं को जिला मजिस्ट्रेट के सामने अकेले या महिला पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में अपने बयान दर्ज करने का अधिकार है।
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