GST Kya Hai: वस्तु एवं सेवा कर GST एक Value Added है, जो घरेलू उपभोग के लिए बेची जाने वाली अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है। GST का भुगतान उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है, लेकिन इसे सामान और सेवाएं बेचने वाले Professions द्वारा सरकार को भेजा जाता है।
प्रतियोगी परीक्षाओं में Current Affairs से जुड़े Question पूछे जाते हैं, क्योंकि Current Affairs का उद्देश्य मनुष्य की समझ को विस्तार करना है। UPSC में Pre और Mains Exam के अलावा Interview का भी महत्वपूर्ण Roll है, इसलिए Candidates को रोजाना हो रहीं आसपास और देश-दुनिया की घटनाओं को समझना होगा। आज हम इस Blog में GST क्या है? और यह क्यों जरूरी है के बारे में जानेंगे, जिसे आप अपनी तैयारी में जोड़ सकते हैं।
वस्तु एवं सेवा कर यह GST भारत सरकार की नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जिसे 1 जुलाई 2017 से लागू हो रही है | लेकिन GST क्या है और यह वर्तमान में Tax Structure को कैसे सुधार देगा? इससे भी महत्वपूर्ण सवाल यह है कि भारत को एक नए Tax System की आवश्यकता क्यों है? हम इन सवालों के जवाब इस विस्तृत लेख में करेंगे।
GST (Goods and Services Tax) है। भारत में GST लागू करने का इरादा व्यापार के लिए अनुपालन को आसान बनाना था। आज के इस Articles Post में हम आपको GST के बारे मे संपूर्ण जानकारी देंगे और अगर कोई जानकारी छूट जाती है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट जरुर करें। और इस Articles Post को Last तक ध्यान पूर्वक जरूर पढ़ें ताकि आपको सारी जानकारी अच्छे से समझ में आ सके। तो आइए जानते हैं कि GST क्या है? इनसे जुड़े सारी जानकारी।
GST क्या है? – GST Kya Hai
GST का मतलब Duties and Service Tax है। हिंदी में इसे माल एवं सेवा कर कहा जाता है। GST को वस्तुओं की खरीदारी और सेवाओं का उपयोग करने के लिए देना होता है। 2017 से पहले कई तरह के Tax Trend में थे। Tax GST के नाम से लागू हो गया है। GST को 1 जुलाई 2017 से इसे India के सभी states और Union Territories में लागू कर दिया है।
GST एक व्यापक, बहु-स्तरीय, गंतव्य-आधारित कर है जो प्रत्येक मूल्य में जोड़ पर लगाया जाएगा। इसे समझने के लिए, हमें इस परिभाषा के तहत शब्दों को समझना होगा। आइए हम ‘बहु-स्तरीय’ शब्द के साथ शुरू करें। कोई भी वस्तु निर्माण से लेकर अंतिम उपभोग तक कई चरणों के माध्यम से गुजरता है। पहला चरण है कच्चे माल की खरीदना।
दूसरा चरण उत्पादन या निर्माण होता है। फिर, सामग्रियों के भंडारण या warehouse में डालने की व्यवस्था है। इसके बाद, उत्पाद Retailer या Retail Seller के पास आता है। और अंतिम चरण में, Retailer आपको या अंतिम उपभोक्ता को अंतिम माल बेचता है। इस चीज को समझने के लिए नीचे दिए गए सचित्र का विवरण देखें जिससे आपको सारी बाते समझा में आ जाएगी।
इन Stages में GST लगाया जाएगा, और यह एक Multi-Tier Tax होगा। कैसे? हम शीघ्र ही देखेंगे, लेकिन इससे पहले, आइए हम ‘Value Addition’ के बारे में बात करें। मान लें कि निर्माता एक Shirt बनाना चाहता है। इसके लिए उसे धागा खरीदना होगा। यह धागा निर्माण के बाद एक Shirt बन जाएगा।
तो इसका मतलब है, जब यह एक Shirt में बुना जाता है, धागे का मूल्य बढ़ जाता है। फिर, निर्माता इसे ‘Value Addition’को बेचता है जो प्रत्येक Shirt में Label और Tag जोड़ता है। यह Value का एक और Promotion हो जाता है। इसके बाद Warehouse उसे Retailer को बेचता है जो प्रत्येक Shirt को अलग से Package करता है और Shirt के Marketing में Investment करता है। इस प्रकार Investment करने से प्रत्येक Shirt के Value में बढ़ौती होती है।
इस तरह से प्रत्येक Step में Monetary Value जोड़ दिया जाता है जो मूल रूप से Value Addition होता है। इस Value Addition पर GST लगाया जाएगा | Definition में एक और शब्द है जिसके बारे में हमें बात करने की आवश्यकता है। पूरे Manufacturing Chain के दौरान होने वाले सभी लेनदेन पर GST लगाया जाएगा।
इससे पहले, जब एक उत्पाद का निर्माण किया जाता था, तो केंद्र ने Manufacturing पर उत्पाद शुल्क या Excise Duty लगाता था | जब अगले Stape में Item बेचा जाता है तो State Vat जोड़ता है। फिर Sales के Next Level पर एक Vat होगा। इसे समझने के लिए नीचे दिए गए सचित्र को देखें।
अब, बिक्री के हर Level पर GST लगाया जाएगा। मान लें कि पूरे निर्माण प्रक्रिया राजस्थान में हो रही है और कर्नाटक में अंतिम बिक्री हो रही है। चूंकि GST कि खपत के समय लगाया जाता है, इसलिए राजस्थान राज्य को उत्पादन और Warehousing के चरणों में Revenue मिलेगा।
लेकिन जब उत्पाद राजस्थान से बाहर हो जाता है और कर्नाटक में अंतिम उपभोक्ता तक पहुंच जाता है, तो राजस्थान को राजस्व नहीं मिलेगा। इसका मतलब यह है कि कर्नाटक अंतिम बिक्री पर Revenue Acquired करेगा, क्योंकि यह Destination पर आधारित है।
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भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) का ढांचा क्या हैं – What is the structure of Goods and Services Tax (GST) in India?
भारत सरकार की वस्तु एवं सेवा कर (GST) एक अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है। जिस तरह भारत में दो स्तर की सरकार चलती हैं एक केंद्र स्तर की सरकार तथा दूसरी राज्य स्तर की सरकार, उसी तरह वस्तु एवं सेवा कर (GST) को भी दोनों स्तर पर लागू किया गया हैं एक केंद्र स्तर पर तथा दूसरा राज्य स्तर पर, भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) को चार भागो में बाटा गया है।
CGST – केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर।
UGST – केंद्र शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर।
IGST – एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर।
SGST – राज्य वस्तु एवं सेवा कर।
CGST क्या हैं? – What is CGST?
CGST का पूरा नाम केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (Central Goods and Service Tax) हैं , यह कर केंद्र सरकार द्वारा राज्य के अंदर वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता हैं। इसको राज्यान्तरिक (Intrastate) कर भी कहते हैं। यह कर केंद्र सरकार द्वारा एकत्रित किया जाता हैं।
UGST क्या है? – What is UGST?
UGST का पूरा नाम केंद्र शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर (Union Territory Goods and Service Tax) हैं। यह कर केंद्र शासित प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के अंदर वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाने वाला कर हैं। इसको राज्यान्तरिक कर भी कहते हैं। यह कर केंद्र शासित प्रदेश सरकार द्वारा एकत्रित किया जाता हैं।
IGST क्या है? – What is IGST?
IGST का पूरा नाम एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (Integrated Goods and Service Tax) हैं। यह कर केंद्र सरकार द्वारा राज्य के बाहर वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाने वाला कर हैं,इस कर को राज्यों के बीच का कर भी कहते हैं। यह कर केंद्र सरकार द्वारा एकत्रित किया जाता हैं।
SGST क्या हैं? – What is SGST?
SGST का पूरा नाम राज्य वस्तु एवं सेवा कर (State Goods and Service Tax) हैं। यह कर राज्य सरकार द्वारा राज्य के अंदर वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता हैं। इस कर को राज्यान्तरिक (Intrastate) कर भी कहते हैं। यह कर राज्य सरकार द्वारा एकत्रित किया जाता हैं।
CGST, SGST और IGST में क्या variation हैं? – What are the Variations in CGST, SGST and IGST?
भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) को तीन तरह के करो में समायोजित किया गया हैं। सबसे पहला CGST ( Central Goods and Service Tax ) हैं जिसने उन सभी करो की जगह ले ली हैं जो केंद्र सरकार द्वारा लगाए जाते हैं, और दूसरा SGST (State Goods and Service Tax) हैं जिसने उन सभी करो की जगह ले ली हैं जो राज्य सरकार द्वारा लगाए तथा एकत्र किये जाते हैं, तीसरा IGST (Integrated Goods and Service Tax) हैं जो CGST एवं SGST का Total हैं। CGST एवं SGSTराज्य के अंदर वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति (Supply) पर लगाया जाने वाले कर हैं। जबकि IGST तभी लगता हैं जब State के बाहर आपूर्ति (Supply) की जाती हैं।
भारत में जीएसटी की यात्रा – GST journey in India
GST आजादी के 70 सालों में भारत का सबसे बड़ा कर सुधार है। यह केंद्र और राज्यों के दर्जन से अधिक उपकरों जैसे Factory Gate, Excise Duty, Service, Local Sales Tax या vat को Contained करेगा। यह एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचाएगा। इस एक राष्ट्र एक कर को आकार देने वाली GST Travel इस तरह से है।
- फरवरी 1986 में विा मंत्री वी पी सिंह ने 1986-87 के बजट में उत्पाद कराधान व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव करने का प्रस्ताव रखा
- वर्ष 2000 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने यह अवधारणा पेश की और GST Model का Design तय करने के लिए पश्चिम बंगाल के तत्कालीन विा मंत्री असीम दासगुप्ता की अध्यक्षता में एक समिति गठित की।
- साल 2003 में वाजपेयी सरकार ने कर सुधारों की सिफारिश करने के लिए विजय केलकर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया।
- वर्ष 2004 में विा मंत्रालय में तत्कालीन सलाहकार विजय केलकर ने वर्तमान कर व्यवस्था के स्थान पर GST की सिफारिश की।
- वर्ष 28 फरवरी 2006 में पहली बार बजट भाषण में GST का उल्लेख हुआ।विा मंत्री पी चिदम्बरम ने GST लागू करने की समय सीमा एक अप्रैल 2010 तय की। उन्होंने कहा कि विा मंत्रियों की उच्चाधिकार समिति GST के लिए Roadmap तैयार करेगी।
- •साल 2008 में राज्यों के वी विा मंत्रियों की उच्चाधिकार समिति का गठन हुआ।30 अप्रैल 2008 में उच्चाधिकार समिति ने सरकार को भारत में माल एवं सेवा कर का Model एवं Roadmap नामक Report सौंपी।
- 10 नवंबर 2009 में उच्चाधिकार समिति ने GST पर परिचर्चा पत्र जारी किया। वहीं 2009 में विा मंत्री प्रणब मुखर्जी ने दासगुप्ता समिति द्वारा डिजायन किये गये GST के मूल ढांचे की घोषणा की तथा 2010 की समय सीमा बनाए रखी।
- BJP ने GST मूल ढांचे का विरोध किया। साल 2010 में विा मंत्रालय ने GST लागू करने के वास्ते बुनियाद डालने के लिए राज्यों में Commercial करों का मिशन मोड Computerization शुरू किया।
- प्रणब मुखर्जी ने 1अप्रैल 2011 तक के लिए GST टाला। उसके बाद 22 मार्च 2011 में संप्रग द्वितीय ने GST लाने के लिए लोकसभा में 115 वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया।
- साल 29 मार्च 2011 में GST विधेयक यशवंत सिन्हा की अगुवाई वाली विा पर संसद की स्थायी समिति के पास भेजा गया।असीम दासगुप्ता ने इस्तीफा दिया, तब केरल के विा मंत्री के M Mani ने उनका स्थान लिया।
Note:— GST की यात्रा वर्ष 2000 में शुरू हुई जब कानून का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति गठित की गई। तब से इस कानून को विकसित होने में 17 साल लग गए। 2017 में GST बिल लोकसभा और राज्यसभा में पास हो गया। 1 जुलाई 2017 को GST कानून लागू हुआ।
क्या है GST का उद्देश्य – What is the Purpose of GST?
‘एक राष्ट्र, एक कर’ की विचारधारा को प्राप्त करने के लिए – To Achieve the Ideology of ‘One Nation, One Tax’
GST ने कई अप्रत्यक्ष करों का स्थान ले लिया है, जो पिछली कर व्यवस्था के तहत मौजूद थे। एक ही Tax होने का लाभ यह है कि प्रत्येक State किसी विशेष उत्पाद या सेवा के लिए समान दर का पालन करता है। केंद्र सरकार द्वारा दरें और नीतियां तय करने से कर प्रशासन आसान हो गया है। सामान्य कानून पेश किए जा सकते हैं, जैसे माल परिवहन के लिए E-Way Bill और लेनदेन Reporting के लिए E-Challan Tax अनुपालन भी बेहतर है क्योंकि Taxpayers को कई Return Form और समय-सीमाओं से जूझना नहीं पड़ता है। कुल मिलाकर, यह अप्रत्यक्ष कर अनुपालन की एक एकीकृत प्रणाली है।
भारत में अधिकांश अप्रत्यक्ष करों को समाहित करना – Absorbing Most of the Indirect Taxes in India
भारत में कई पूर्ववर्ती अप्रत्यक्ष कर थे जैसे Service Tax, Value Added Tax (VAT), Central Excise इत्यादि, जो कई आपूर्ति श्रृंखला चरणों में लगाए जाते थे। कुछ कर States द्वारा शासित होते थे और कुछ केंद्र द्वारा। वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर कोई एकीकृत और केंद्रीकृत कर नहीं था। इसलिए, GST लागू किया गया था। GST के तहत सभी प्रमुख अप्रत्यक्ष करों को एक में समाहित कर दिया गया। इससे करदाताओं पर अनुपालन बोझ काफी कम हो गया है और सरकार के लिए कर प्रशासन आसान हो गया है।
करों के व्यापक प्रभाव को समाप्त करना – Eliminate Cascading Effects of Taxes
GST का एक प्राथमिक उद्देश्य करों के व्यापक प्रभाव को दूर करना था। पहले, विभिन्न अप्रत्यक्ष कर कानूनों के कारण, करदाता एक Tax केTax Credit को दूसरे कर के विरुद्ध समायोजित नहीं कर सकते थे। उदाहरण के लिए, निर्माण के दौरान भुगतान किए गए उत्पाद Charge को Sale के दौरान VAT Payable के विरुद्ध समायोजित नहीं किया जा सकता है। इससे Taxes का व्यापक प्रभाव पड़ा। GST के तहत, कर Levy केवल आपूर्ति श्रृंखला के प्रत्येक चरण में जोड़े गए शुद्ध मूल्य पर है। इससे करों के व्यापक प्रभाव को खत्म करने में मदद मिली है और वस्तुओं और सेवाओं दोनों में Input Tax Credit के निर्बाध प्रवाह में योगदान मिला है।
कर चोरी पर अंकुश लगाना – Curb Tax Evasion
भारत में GST कानून पूर्ववर्ती अप्रत्यक्ष कर कानूनों की तुलना में कहीं अधिक सख्त हैं। GST के तहत, Taxpayer केवल अपने संबंधित Suppliers द्वारा Upload किए गए चालान पर Input Tax Credit का दावा कर सकते हैं। इस तरह, नकली चालान पर Input Tax Credit का दावा करने की संभावना न्यूनतम है। E-Challan की शुरूआत ने इस उद्देश्य को और मजबूत किया है। इसके अलावा, GST एक Nationwide कर होने और एक केंद्रीकृत निगरानी प्रणाली होने के कारण, Defaulters पर शिकंजा कसना तेज और कहीं अधिक कुशल है। इसलिए, GST ने कर चोरी पर अंकुश लगाया है और कर धोखाधड़ी को काफी हद तक कम किया है।
करदाता आधार को बढ़ाना – Expanding the Taxpayer Base
GST ने भारत में कर आधार बढ़ाने में मदद की है। पहले, प्रत्येक कर कानून में Turnover के आधार पर Registration के लिए एक अलग सीमा होती थी। चूंकि GST वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगाया जाने वाला एक समेकित कर है, इससे Tax Registered Professions में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, input tax credit से जुड़े सख्त कानूनों ने कुछ असंगठित क्षेत्रों को कर के दायरे में लाने में मदद की है। उदाहरण के लिए, भारत में निर्माण उद्योग।
व्यवसाय करने में आसानी के लिए ऑनलाइन प्रक्रियाएँ – Online Processes for Ease of Doing Business
पहले, Taxpayers को प्रत्येक कर कानून के तहत विभिन्न कर अधिकारियों से निपटने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इसके अलावा, जबकि return filing करना Online था, Most Evaluation और Refund प्रक्रियाएं Offline हुईं। अब, GST प्रक्रियाएं लगभग पूरी तरह से ONline की जाती हैं। Offline से लेकर Return Filing, Refund से लेकर e-way bill generation तक सब कुछ एक बटन के Click से हो जाता है। इसने भारत में Business करने में समग्र आसानी में योगदान दिया है और करदाता अनुपालन को काफी हद तक सरल बनाया है।Government e-challan, e-way bill और GST return filing जैसे सभी अप्रत्यक्ष कर अनुपालन के लिए जल्द ही एक Centralized portal introduced करने की भी Plan बना रही है।
एक बेहतर रसद और वितरण प्रणाली – A Better Logistics and Distribution System
एक एकल अप्रत्यक्ष कर प्रणाली माल की आपूर्ति के लिए एकाधिक Documentation की आवश्यकता को कम कर देती है। GST परिवहन चक्र के समय को कम करता है, आपूर्ति श्रृंखला और turnaround time में सुधार करता है, और अन्य लाभों के साथ गोदाम समेकन की ओर ले जाता है। GST के तहत e-way bill system के साथ, पारगमन और गंतव्य दक्षता में सुधार के लिए interstate चौकियों को हटाना इस क्षेत्र के लिए सबसे अधिक फायदेमंद है। अंततः, यह उच्च Logistics और भंडारण लागत को कम करने में मदद करता है।
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प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण को बढ़ावा देना और खपत बढ़ाना – Promote Competitive Pricing and Increase Consumption
GST लागू होने से उपभोग और अप्रत्यक्ष कर Revenue में भी वृद्धि हुई है। पिछली व्यवस्था के तहत करों के व्यापक प्रभाव के कारण, भारत में वस्तुओं की कीमतें global markets की तुलना में अधिक थीं। राज्यों के बीच भी, कुछ राज्यों में कम वैट दरों के कारण इन राज्यों में खरीद में असंतुलन पैदा हो गया। एक समान GST दरें होने से पूरे भारत और वैश्विक मोर्चे पर समग्र प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण में योगदान मिला है। इससे खपत में वृद्धि हुई है और उच्च राजस्व प्राप्त हुआ है, जो हासिल किया गया एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य है।
वस्तु एवं सेवा कर के तहत क्या मतलब है “सेवा (Service)” का – What is the Meaning of “Service” Under Goods and Services Tax?
अगर इसकी परिभाषा पर चर्चा करें तो परिभाषा में वस्तु, पैसे, प्रतिभूति को छोड़कर बाकी सब कुछ आते हैं लेकिन इसमें पैसे (Money) के उपयोग से संबंधित गतिविधियाँ शामिल हैं जैसे नकदी द्वारा या किसी अन्य प्रकार द्वारा कुछ शुल्क लेकर एक Form तथा Currency को दूसरे Format तथा Currency में बदलना।
किन वस्तुओं और सेवाओं को वस्तु एवं सेवा कर की कवरेज से बाहर रखा गया है – Which Goods and Services are Excluded from the Coverage of Goods and Services Tax?
वस्तुओं और सेवाओं की कुछ ऐसी क्रियाएँ हैं जो वस्तु एवं सेवा कर के अंतर्गत शामिल नहीं हैं, वे वस्तु एवं सेवा कर के दायरे से बाहर हैं तथा इन्हें वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम की अनुसूची के तहत “न तो वस्तु और न ही सेवाओं” के रूप में बांटा गया है। जोकि नीचे निम्नलिखित हैं —
- संसद (Parliament) के सदस्य, राज्य विधानमंडल (State Legislature), पंचायत, नगर पालिका और अन्य स्थानीय अधिकारी
- कोई भी व्यक्ति जो संविधान के प्रावधानों के तहत एक पद रखता है।
- स्थानीय निकाय या सरकार द्वारा स्थापित निकाय में अध्यक्ष, सदस्य या निदेशक जो किसी के कर्मचारी (Employee) के दायरे मे नहीं आते हैं।
- मृतक की परिवहन गाडी सहित अंतिम संस्कार, दफन (burial) , श्मशान या मुर्दाघर की सेवाएं।
- जमीन (Land) की बिक्री और भवन (Building) की बिक्री।
- कार्रवाई करने के दावे (Actionable Claims) ( लॉटरी, सट्टे और जुए के अलावा अन्य कार्रवाई के दावे)।
GST के फायदे – Benefits of GST
GST फायदेमंद हो सकता है क्योंकि यह कराधान को सरल बनाता है, कई अलग-अलग करों को एक सीधी प्रणाली में कम कर देता है। ऐसा माना जाता है कि इससे व्यवसायों के बीच कर चोरी में कमी आएगी और भ्रष्टाचार में कमी आएगी।
GST ने मुख्य रूप से वस्तुओं और सेवाओं की Sales पर व्यापक प्रभाव को हटा दिया है। Cascading प्रभाव को हटाने से माल की लागत पर असर पड़ा है। चूंकि GST व्यवस्था Tax पर Tax खत्म कर देती है, इसलिए वस्तुओं की लागत कम हो जाती है।इसके अलावा, GST मुख्य रूप से Technology रूप से संचालित है। Registration, Return Filing, Refund के लिए Application और Notice का जवाब जैसी सभी गतिविधियां GST Portal पर Online की जानी चाहिए, जिससे प्रक्रियाओं में तेजी आती है।
GST के घटक क्या हैं – What are the Components of GST?
इस प्रणाली के तहत तीन कर लागू होते है CGST, SGST और IGST. आइए इसे जानते है।
CGST:— यह केंद्र सरकार द्वारा अंतर-राज्य बिक्री (उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र के भीतर होने वाला लेनदेन) पर एकत्र किया गया कर है।
SGST:— यह राज्य सरकार द्वारा अंतर-राज्य बिक्री (उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र के भीतर होने वाला लेनदेन) पर एकत्र किया गया कर है।
IGST:— यह अंतर-राज्य बिक्री (उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र से तमिलनाडु) के लिए केंद्र सरकार द्वारा एकत्र किया गया कर है।
Note:— ज्यादातर मामलों में, नई व्यवस्था के तहत कर संरचना इस प्रकार की होगी।
लेन-देन (Exchange) | नई व्यवस्था (The New Order) | पुराना शासन (old Regime) | राजस्व वितरण(Revenue Distribution) |
राज्य के भीतर बिक्री (Intrastate Sales) | सीजीएसटी + एसजीएसटी (CGST + SGST) | वैट + केंद्रीय उत्पाद शुल्क/सेवा कर (VAT + Central Excise/Service Tax) | राजस्व केंद्र और राज्य के बीच समान रूप से साझा किया जाएगा (Revenue will be shared equally between the Center and the State) |
दूसरे राज्य को बिक्री (Sale to Another State) | आईजीएसटी (IGST) | केंद्रीय बिक्री कर + उत्पाद शुल्क/सेवा कर (Central Sales Tax + Excise/Service Tax) | अंतरराज्यीय बिक्री के मामले में केवल एक प्रकार का कर (केंद्रीय) होगा। इसके बाद केंद्र माल के गंतव्य के आधार पर IGSTराजस्व साझा करेगा। |
सचित्र के माध्यम से समझें।
- मान लें कि गुजरात के एक डीलर ने पंजाब के एक डीलर को रुपये का माल बेचा था। 50,000 कर की दर 18% है जिसमें केवल IGST शामिल है।
- ऐसे मामले में, डीलर को 9,000 रुपये का IGST चार्ज करना होगा। यह राजस्व केंद्र सरकार को जाएगा।
- वही डीलर गुजरात में एक उपभोक्ता को रु का सामान बेचता है। 50,000. वस्तुओं पर GST दर 12% है. इस दर में 6% CGST और 6% SGST शामिल है।
- डीलर को वस्तु एवं सेवा कर के रूप में 6,000 रुपये एकत्र करने होंगे, 3,000 रुपये केंद्र सरकार को और 3,000 रुपये गुजरात सरकार को जाएंगे क्योंकि बिक्री राज्य के भीतर है।
GST से पहले के Tax कानून – Tax Laws Before GST
पहले के अप्रत्यक्ष कर शासन में, राज्य और केंद्र दोनों द्वारा कई अप्रत्यक्ष कर लगाए जाते थे। राज्य मुख्य रूप से मूल्य वर्धित Tax (VAT) के रूप में कर एकत्र करते हैं। हर राज्य के अलग-अलग नियम और कानून थे। वस्तुओं की अंतरराज्यीय बिक्री पर केंद्र द्वारा कर लगाया जाता था। Goods की अंतर-राज्य बिक्री के मामले में CST (केंद्रीय राज्य कर) लागू था। मनोरंजन कर, चुंगी और स्थानीय कर जैसे अप्रत्यक्ष Tax राज्य और केंद्र द्वारा एक साथ लगाए जाते थे। इससे राज्य और केंद्र दोनों द्वारा लगाए गए करों में बहुत अधिक Overlapping हो गई।
उदाहरण के लिए, जब Goods का निर्माण और sales की जाती थी, तो केंद्र द्वारा Excise duty लगाया जाता था। Excise duty के अलावा, राज्य द्वारा VAT भी वसूला जाता था। इससे कर प्रभाव पर कर लगने लगा, जिसे करों के व्यापक प्रभाव के रूप में भी जाना जाता है।
GST पूर्व व्यवस्था की अप्रत्यक्ष Taxes की सूची नीचे निम्नलिखित हैं—
- केंद्रीय उत्पाद शुल्क – Central Excise Duty
- उत्पाद शुल्क के कर्तव्य – Duties of Excise
- उत्पाद शुल्क के अतिरिक्त कर्तव्य – Duty in Addition to Excise Duty
- सीमा शुल्क के अतिरिक्त कर्तव्य – Additional Duties of Customs
- सीमा शुल्क का विशेष अतिरिक्त शुल्क – Special Additional Duty of Customs
- उपकर – Cess
- राज्य वैट – State Vat
- केंद्रीय बिक्री कर – Central Sales Tax
- खरीद कर – By Purchasing
- लक्जरी टैक्स – Luxury Tax
- मनोरंजन कर – Do Entertainment
- प्रवेश कर – Enter in
- विज्ञापनों पर कर – Tax on Advertisements
- लॉटरी, सट्टेबाजी और जुए पर कर –Tax on Lotteries, Betting and Gambling
CGST, SGST और IGST ने उपरोक्त सभी Taxes का स्थान ले लिया है – CGST, SGST and IGST have Replaced all the Above Mentioned Taxes.
‘Form C’ जारी करने और उपयोग करने पर 2% की रियायती दर पर अंतर-राज्य खरीद के लिए लगाए गए कुछ कर जैसे GST अभी भी प्रचलित हैं।
यहां पर हमने यह कुछ Non-GST वस्तुओं के बारे ने बताए है जो GST पर लागू होता है।
- पेट्रोलियम क्रूड – Petroleum Crude
- हाई स्पीड डीजल – High Speed Diesel
- मोटर स्पिरिट (आमतौर पर पेट्रोल के रूप में जाना जाता है) – Motor Spirit (Commonly Known as Petrol)
- प्राकृतिक गैस – Natural Gas
- विमानन टरबाइन ईंधन – Aviation Turbine Fuel
- मानव उपभोग के लिए मादक शराब – Alcoholic Liquor for Human Consumption
यह सिर्फ इन सभी लेनदेन पर लागू होता है जोकि नीचे निम्नलिखित हैं—
- फिर से बेचना – Resell
- विनिर्माण या प्रसंस्करण में उपयोग करें – Use in Manufacturing or Processing
- कुछ क्षेत्रों जैसे दूरसंचार नेटवर्क, खनन, बिजली उत्पादन या वितरण या किसी अन्य बिजली क्षेत्र में उपयोग करें – Use in Certain Sectors Such as Telecommunication Networks, Mining, Power Generation or Distribution or any other Power Sector
GST के तहत नए अनुपालन क्या हैं – What are the new Compliances Under GST?
GST Return को Online दाखिल करने के अलावा, GST शासन ने इसके साथ कई नई प्रणालियाँ भी शुरू की हैं।
ई-वे बिल– E-Way Bill:—
GST ने “E-Way Bill” की शुरुआत करके Waybill की एक केंद्रीकृत प्रणाली शुरू की । यह प्रणाली 1 अप्रैल 2018 को Goods के अंतर-राज्य आंदोलन के लिए और 15 अप्रैल 2018 को क्रमबद्ध तरीके से Goods के अंतर-राज्य आंदोलन के लिए शुरू की गई थी।
ई-वे बिल (“E-Way Bill”) प्रणाली के तहत Manufacturers,Traders और Transporters एक Common Portal पर अपने मूल स्थान से अपने गंतव्य तक परिवहन किए गए Goods के लिए आसानी से “E-Way Bill” उत्पन्न कर सकते हैं। कर अधिकारियों को भी लाभ हुआ है क्योंकि इस प्रणाली से Check-Post पर समय कम हो गया है और कर चोरी को कम करने में मदद मिली है।
ई-चालान – E-Challan:—
किसी भी Previous Financial वर्ष (2017-18 से) में 500 करोड़ रुपये से अधिक के वार्षिक कुल Business वाले व्यवसायों के लिए ई-चालान (E-Challan) 1 अक्टूबर 2020 से लागू की गई थी। इसके अलावा, 1 जनवरी 2021 से, इस प्रणाली को 100 करोड़ रुपये से अधिक के वार्षिक कुल Business वाले लोगों तक बढ़ा दिया गया था।
इन व्यवसायों को GST के Challan Registration Portal पर Upload करके प्रत्येक Business से चालान के लिए एक अद्वितीय चालान संदर्भ संख्या प्राप्त करनी होगी। Portal Challan की सत्यता और वास्तविकता की पुष्टि करता है। इसके बाद, यह QR Code के साथ Digital Signature का उपयोग करने की अनुमति देता है।
E-Challan चालानों की Interoperability की अनुमति देता है और data entry errors को कम करने में मदद करता है। इसे चालान की जानकारी सीधे IRP से GST Portal और E-Way Bill Portal तक पहुंचाने के लिए Design किया गया है। इसलिए, यह GSTR-1 दाखिल करते समय Manual Data Entry की आवश्यकता को समाप्त कर देगा और E-Way Bill बनाने में भी मदद करेगा।
कैसे करेगा भारत और आम आदमी की मदद GST – How will GST help India and the common man?
GST Input Tax Credit Value संयोजन श्रृंखला के एक सहज प्रवाह पर आधारित है। विनिर्माण प्रक्रिया के हर चरण में, व्यवसायों को पिछले लेनदेन में पहले से ही चुकाए गए Tax का दावा करने का विकल्प होगा। इस प्रक्रिया को समझना व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण है। यहां Detailed विवरण दिया गया है।
इसे समझने के लिए, पहले आप यहसमझ लीजिए कि Input Tax Credit क्या है? यह एक Tax Credit है जो निर्माता को उत्पाद के निर्माण में उपयोग किए गए Input पर दिया गया कर के लिए प्राप्त होता है। इसके बाद Remaining Amount सरकार को जमा करनी होगी। हम इसे एक काल्पनिक संख्यात्मक उदाहरण के साथ समझते हैं। एक शर्ट निर्माता कच्चे माल खरीदने के लिए 100 रुपये का भुगतान करता है। यदि Taxes की दर 10% पर निर्धारित है, और इसमें कोई लाभ या नुकसान नहीं है, तो उसे कर के रूप में 10 रूपये का भुगतान करना होगा।
तो, शर्ट की अंतिम लागत अब (100 + 10 =) 100 रुपये हो जाती है। अगले चरण में, थोक व्यापारी 110 रुपये में निर्माता से शर्ट खरीदता है, और उस पर लेबल जोड़ता है। जब वह लेबल जोड़ रहा है, वह मूल्य जोड़ रहा है। इसलिए, उसकी लागत 40 रुपए (अनुमानित) से बढ़ जाती है। इसके ऊपर, उसे 10% Tax का भुगतान करना पड़ता है।
ऐसा होने के लिए, कर Obligation हर Sales पर Passed किया गया था और अंतिम Liability Customer के पास आ गया। इसे Taxes का व्यापक प्रभाव कहा जाता है जहां Tax के ऊपर Tax का भुगतान किया जाता है और Item का Value हर बार बढ़ता रहता है।
कार्य (Work) | लागत (Cost) | 10% कर (10% tax) | कुल (Total) |
कच्चे माल खरीदना @ 100 (Purchasing Raw Materials @ 100) | 100 | 10 | 110 |
उत्पादन @ 40 (Production @ 40) | 150 | 15 | 165 |
मूल्य जोड़ें @ 30 (Add Price @ 30) | 195 | 19.5 | 214.5 |
कुल (Total) | 170 | 44.5 | 214.5 |
GST के तहत, Input Tax Credit Payment किए गए कर के लिए Credit का दावा करने का एक तरीका है। इसमें, जिस व्यक्ति ने कर चुकाया है, वह व्यक्ति अपने Taxes को जमा करते समय, भुगतान किये हुए कर के Credit का दावा कर सकता है। हमारे उदाहरण में, जब थोक व्यापारी उत्पादक से खरीदता है, तो वह अपनी लागत क़ीमत पर 10% कर देता है क्योंकि उसके पास एक देय राशि है। फिर उन्होंने 100 रुपये की लागत मूल्य में 40 रुपये का value जोड़ा और इससे उनकी Item क़ी Price 140 रुपये हो गई।
अब उसे इस कीमत का 10% सरकार को Tax के रूप में देना होगा। लेकिन उन्होंने पहले ही निर्माता को एक Tax का भुगतान किया है। इसलिए, इस बार वह सरकार को Tax के रूप में (140% के 10% = 14) का भुगतान करने की बजाय वह पहले से भुगतान की गई Amount को घटा देता है।
इसलिए उसकी 14 रुपए की नई Amount due से वह 10 रुपए कटौती करता है और सरकार को केवल 4 रुपए का भुगतान करता है। तो 10 रुपए उसका Input Credit हो जाता है। जब वह सरकार को 4 रुपये का भुगतान करता है, तो वह Retailer को 14 रुपए का Dues Amount Transfer करता है। अगले चरण में, Retailer ने अपने लागत Value में 30 रुपये का Value जोड़ा और सरकार को इस पर 10% Tax का भुगतान किया।
जब वह Value जोड़ता है, तो उसकी कीमत 170 रुपये हो जाती है। अब, अगर उसे उस पर 10% Tax देना पड़ता है, तो वह वह अपने Customer को Tax का भार दे देता है। लेकिन Retailer के पास Input Credit है, क्योंकि उसने Wholesaler को Tax के रूप में 14 रुपये में भुगतान किया है। इसलिए, अब वह अपनी कर Amount due को (170% = 170) = 17 रूपए से 14 रुपए तक कम कर देता है और उसे सरकार को केवल 3 रुपए का भुगतान करना पड़ता है। और इसलिए, वह अब Customer को यह शर्ट (140 + 30 + 17 =) 187 रुपये में बेच सकता है।
कार्य (Work) | लागत (Cost) | 10% कर (10% tax) | वास्तविक देयता (Actual Liability) | कुल (Total) |
कच्चे माल खरीदना @ 100 (Purchasing Raw Materials @ 100) | 100 | 10 | 10 | 110 |
उत्पादन @ 40 (Production @ 40) | 140 | 14 | 4 | 154 |
मूल्य जोड़ें @ 30 (Add Price @ 30) | 170 | 7 | 3 | 187 |
कुल (Total) | 170 | 2 | 17 | 187 |
अंत में, हर बार जब कोई व्यक्ति Input Tax Credit का दावा करने में सक्षम होता है, तो उसके लिए Selling Price कम हो जाता है। और उसके उत्पाद पर कम कर Obligation के कारण लागत Value भी कम हो जाता है। शर्ट का Last Price भी 214.5 रुपये से 187 रुपये कम हो गया, इस प्रकार अंतिम Customer पर Tax का बोझ कम हो गया। इसलिए अनिवार्य रूप से, Goods and Services Tax में दो तरह से लाभ होता है। पहला, यह Taxes के व्यापक प्रभाव को कम करेगा और दूसरा, Input कर Credit की अनुमति के द्वारा, यह Tax के बोझ को कम करेगा और उम्मीद है की कीमतें भी कम हो जाएंगी।
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क्या आपको GST Registration की जरूरत है – Do you need GST Registration?
जानकारी के लिए मैं आपको बता दूं कि GST सभी Professions पर लागू होगा। और Professions में शामिल हैं Trade, Commerce, Construction, Profession, Occupation या किसी अन्य समान कार्यवाही, इसकी प्रायिकता के बावजूद, इसमें व्यवसाय शुरू करने या बंद करने के लिए Doods/Services की आपूर्ति भी शामिल है। सेवाओं का मतलब वस्तु के अलावा कुछ भी नही है। यह संभावना है कि सेवाएं और सामान एक अलग GST दर है।
GST सभी व्यक्तियों पर लागू होगा:— व्यक्तियों, HUF, Company, Firm, LLP, AOP, Co-Operative Society, Society, Trust आदि। हालांकि, GST कृषक विशेषज्ञों पर लागू नहीं होगी। कृषि में फूलों की खेती, बागवानी, रेशम उत्पादन, फसलों, घास या बगीचे के उत्पादन शामिल हैं। लेकिन डेयरी फार्मिंग (दूध का व्यापार), मुर्गी पालन, स्टॉक प्रजनन (पशु-अभिजननक्षेत्र), फल या संगमरमर या पौधों के पालन में शामिल नहीं है। GST Registration की आवश्यकता कब होगी GST Registration प्राप्त करने के लिए पैन (Pan)अनिवार्य है।
हालांकि, अनिवासी व्यक्ति सरकार द्वारा अनिवार्य अन्य Documents के आधार पर GST Registration प्राप्त कर सकता है एक Registration प्रत्येक राज्य के लिए आवश्यक होगा। Taxpayer State में अपने अलग-अलग Business Vertical के लिए अलग-अलग Registration प्राप्त कर सकते हैं।
निम्नलिखित मामलों में GST Registration अनिवार्य है:— Business के आधार पर वित्तीय वर्ष में आपके Business की सीमा 20 लाख रुपए से अधिक होने पर GST एकत्र करना और भुगतान करना होगा। यह सीमा GST के भुगतान के लिए लागू होती है। “Total Turnover” का मतलब सभी कर योग्य आपूर्ति, मुक्ति की आपूर्ति, वस्तुओं के निर्यात और / या सेवाओं और एक समान पैन वाले व्यक्ति की अंतर-राज्य की आपूर्ति को सभी भारत के आधार पर गणना करने और Taxes को शामिल करने के लिए CGST अधिनियम, SGST अधिनियम और IGST अधिनियम के तहत तय होगा।
GST Registration के अन्य मामले नीचे निम्नलिखित हैं:— Goods/Services की अंतर-राज्य आपूर्ति करने वाले कोई भी व्यक्ति जो एक Tax योग्य क्षेत्र में Goods/Services की आपूर्ति करता है और इसमें व्यवसाय का कोई निश्चित स्थान नहीं है। जिसे Casual कर योग्य व्यक्तियों के रूप में संदर्भित किया जाता है। ऐसे व्यक्ति को जारी किए गए Registration 90 दिनों की अवधि के लिए वैध है। Reverse प्रभारी तंत्र के तहत कर का भुगतान करने वाले व्यक्ति को। Reverse Charge Mechanism का मतलब है कि जहां सामान / सेवाओं को प्राप्त करने वाले व्यक्ति को आपूर्तिकर्ता के बजाय कर का भुगतान करना पड़ता है।
GST के तहत Registered नहीं होने के लिए क्या है दंड – What is the Penalty for not Being Registered Under GST?
कोई भी अपराधी जो Tax का Payment नहीं कर रहा है या कम Payment करता है, उसे Payable Tax Amount का 10% जुर्माना देना होगा। जहां एक Determined Tax Evasion देखा गया वहां अपराधी को Tax Amount Payable का 100% जुर्माना देना होगा। हालांकि, अन्य वास्तविक त्रुटियों के लिए, जुर्माना Tax का 10% है।
वस्तु एवं सेवा Tax क्षतिपूर्ति उपकर क्या है – What is Goods and Services Tax Compensation Cess?
भारत में वस्तु एवं सेवा Tax प्रणाली को आसान और सुगम बनाने के लिए तथा कीमतों को कम करने के लिए Design किया गया है। दुर्भाग्य से जिस तरह से वस्तु एवं सेवा Tax कानून की संरचना की गई है। भारत में अलग-अलग राज्यों में राजस्व कम होने की संभावना बढ़ गई। उन राज्यों को मदद करने के लिए, सरकार ने क्षतिपूर्ति उपकर (GST Compensation Cess) लागू किया गया हैं।
वस्तु एवं सेवा कर से क्या- क्या फायदे है – What are the Benefits of Goods and Services Tax?
वस्तु एवं सेवा Tax एक ऐसा कर सुधार है। जिसे एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए Design किया गया है जहाँ स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा Flourish सकती है। भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian economy) को वस्तु एवं सेवा Tax GST से ये सभी लाभ हुए है। जोकि नीचे निम्नलिखित हैं।
- वस्तु एवं सेवा कर आने से पुराने अप्रत्यक्ष करों (indirect taxes) जैसे VAT, CST, Service Tax, Excise Duty आदि Taxes को हटा दिया गया हैं।
- वस्तु एवं सेवा Tax आने से Tax संरचना (Tax framework) बहुत ही आसान और सरल हो गई हैं।
- वस्तु एवं सेवा कर ने Taxes के कैस्केडिंग प्रभाव (Cascading effect) को समाप्त कर दिया हैं अर्थात् Tax पर Tax (tax on tax) को हटा दिया है।
- वस्तु एवं सेवा Tax के आने से Taxes का बोझ कम हुआ जिससे निर्माण लागत में कमी आ गई एवं उपभोक्ता द्वारा खरीदी गई वस्तुओं की कीमतों में कमी आने की संभावना बढ़ गई।
- वस्तु एवं सेवा Tax के आने से आम आदमी पर बोझ कम होगा यानी जनता (Consumer) को उन्हीं उत्पादों को खरीदने के लिए कम पैसा देना पड़ेगा जो पहले महंगे हुआ करते थे।
- वस्तु एवं सेवा Tax के आने से वस्तुओं की मांग (Demand) और उपभोग (Consumption) में वृद्धि हो गई।
- वस्तु एवं सेवा Tax से सरकारी खजाना (Government Treasury) भी बढ़ गया हैं।
- वस्तु एवं सेवा Tax के आने से सिंगल विंडो क्लीयरेंस (Single Window Clearance) या एक ही स्थान पर निकासी को बढ़ावा मिला हैं।
भारत में सरकार द्वारा GST वस्तु एवं सेवा Tax की क्या विभिन्न दरें लागू की गयी हैं – What are the Different Rates of GST Goods and Services Tax Implemented by the Government in India?
वस्तु एवं सेवा Tax देश में Taxes की संरचना (Structure) में समानता लाने और अतीत में लगाए गए Taxes के व्यापक प्रभाव को समाप्त करने वाला सबसे बड़ा Tax सुधार बन चुका है। वस्तु एवं सेवा Tax परिषद विभिन्न उत्पादों के लिए वस्तु एवं सेवा Tax दरों को बदलने के लिए समय-समय पर बैठक करती रहती है |
प्रारम्भ में वस्तु एवं सेवा Tax को One Nation, One Tax और One Rate के रूप में समझा जाता था लेकिन जब यह कानून भारत में लागू होने वाला था तब आर्थिक असमानता, परिवर्तन को स्वीकार करने के लिए लोगों के रवैये आदि जैसे कई कारणों के परिणामस्वरूप भारत में वस्तु एवं सेवा Tax को अलग-अलग कर दरों के साथ लागू किया गया हैं।
FAQ:—
GST क्या है?
GST अप्रत्यक्ष TAX का एक रूप है, सेवा Tax या Vat अप्रत्यक्ष Taxes के समान है।
GST का महत्व क्या है?
इसका महत्व भारतीय बाजार को एकीकृत करना है और पूरे राष्ट्र के लिए एक कर के रूप में कार्य करेगा।
GST कितने प्रकार के होते हैं?
GST के चार प्रकार हैं, एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST), राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST), केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST), और केंद्र शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर (UTGST)।
GST कब देना पड़ता है?
GST को 2016 में राज्य सभा और लोकसभा ने पास कर दिया। GST को 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के रूप में अधिनियमित किया गया। 1 जुलाई, 2017 को इसे देश में लागू कर दिया गया।
GST कब लागू हुआ?
1 जुलाई, 2017 को, केंद्रीय और राज्य करों के जटिल जाल की जगह जीएसटी कानून लागू किया गया था। भारतीय जीएसटी के तहत, वस्तुओं और सेवाओं को 5%, 12%, 18% और 28% सहित विभिन्न कर स्लैब में वर्गीकृत किया गया है।
GST का पूरा नाम क्या है?
GST जीएसटी) का पूरा नाम “माल और सेवा कर(Goods And Service Tax)” है। यह एक अप्रत्यक्ष कर है जिसने भारत में कई अप्रत्यक्ष करों को बदल दिया है।
GST के वर्तमान अध्यक्ष कौन है?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जीएसटी परिषद की वर्तमान अध्यक्ष हैं।
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