Happy Holi 2024: हमारे देश में होली का त्योहार हर साल बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। फाल्गुन मास में होली का पर्व मनाया जाता है। पहले दिन होलिका दहन (Holika Dahan) होता है तो दूसरे दिन रंगों वाली होली खेली जाती हैं। रंग वाली होली को दुलहंडी के नाम से भी जाना जाता है। इन दोनों ही दिनों का अपना महत्व होता है। इस साल लोगों में होली की सही तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति देखने को मिल रही है। तो आइये इसके बारे में पूरी जानकारी जानते हैं।
कब है होली 2024 (Holi 2024)
हिन्दू अपंचांग के मुताबिक, इस साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा 24 मार्च को सुबह 9:54 बजे शुरू होगी। जो अगले दिन दोपहर 12:29 बजे समाप्त होगी। इसलिए होलिका दहन 24 मार्च, दिन रविवार को किया जाएगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 11:13 बजे से 12:27 बजे तक है। यानी होलिका दहन 1 घंटा 14 मिनट तक किया जा सकता है।
पूर्णिमा तिथि (Purnima Date 2024)
बता दें कि, फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है। इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा।
होलिका दहन 2024 (Holika Dahan 2024)
हफ्तों पहले ही होलिका दहन के लिए तैयारी शुरू हो जाती है। होलिका दहन के लिए सड़क किनारे या चौराहे पर लकड़ी, कंडे, झाड़ियां इकट्ठा कर एक होलिका तैयार की जाती है। होलिका दहन के दिन लकड़ियों के इस ढेर को होलिका का प्रतीक मानकर जलाया जाता है।
होलिका की पूजा करने के लिए होलिका और प्रहलाद की मूर्तियां भी बनाई जाती हैं। महिलाएं होलिका की पूजा भी करती है। पूजा सामग्री में चावल, फूल, कपास, फूलों की माला, हल्दी, मूंग, गुलाल, नारियल, बताशा और 5 से 7 प्रकार के अनाज का उपयोग किया जाता है। होलिका की परिक्रमा की जाती है और होलिका दहन किया जाता है।
होलिका दहन पूजा विधि (Holika Dahan puja method)
होलिका दहन के लिए सड़क किनारे या चौराहे पर लकड़ी, कंडे, झाड़ियां इकट्ठा कर एक सप्ताह पहले ही होलिका तैयार की जाती है। होलिका दहन के दिन लकड़ियों के इस ढेर को होलिका के रूप में जलाया जाता है। होलिका की पूजा के लिए गोबर से होलिका और प्रहलाद की मूर्तियां भी बनाई जाती हैं। पूजा सामग्री में चावल, फूल, कपास, फूलों की माला, हल्दी, मूंग, गुलाल, नारियल, बताशा और 5 से 7 प्रकार के अनाज का उपयोग किया जाता है। इसके बाद होलिका की परिक्रमा की जाती है और होलिका दहन किया जाता है।
- होलिका दहन की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करना बहुत जरूरी है।
- स्नान के बाद होलिका की पूजा वाले स्थान पर उत्तर या पूरब दिशा की ओर मुंह करके जरूर बैठ जाएं।
- पूजा करने के लिए गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा को बनाएं।
- वहीं पूजा की सामग्री के लिए रोली, फूल, फूलों की माला, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी,.मूंग, बताशे, गुलाल नारियल, 5 से 7 तरह के अनाज और एक लोटे में पानी रख लें।
- इसके बाद इन सभी पूजन सामग्री के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा करें और मिठाइयां और फल चढ़ाएं।
- होलिका की पूजा के साथ ही भगवान नरसिंह की भी विधि-विधान से पूजा करें और फिर होलिका के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें।
होली के दिन होगा साल का पहला चंद्र ग्रहण
जानकारी के लिए बता दें कि होलिका दहन और रंगों वाली होली खेलने पर कोई मनाही नहीं होगी, क्योंकि भारत में ग्रहण और ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होगा। दरअसल 25 मार्च को होली के दिन लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए ग्रहण के नियम भी लागू नहीं होंगे और सारे धार्मिक कार्य किए जा सकते हैं। रंगों वाली होली से एक दिन पहले सूर्यास्त के बाद होलिका दहन की परंपरा है।
25 मार्च को चंद्र ग्रहण लग रहा है। चंद्र ग्रहण 25 मार्च सुबह 10:23 से दोपहर 03:02 तक रहेगा। चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले ही शुरू हो जाता है। लेकिन यह चंद्र ग्रहण अमेरिका, जापान, रूस के कुछ हिस्से,आयरलैंड, इंग्लैंड, स्पेन, पुर्तगाल, इटली, जर्मनी, फ्रांस, हॉलैंड, बेल्जियम, दक्षिणी नॉर्वे और स्विट्जरलैंड में दिखाई देगा। लेकिन भारत में चंद्र ग्रहण नहीं दिखाई दे। इसलिए यहां इसका सूतक भी मान्य नहीं होगा।
होली का क्या है मान्यता
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को अपनी बहन होलिका की गोद में बिठाकर जिंदा जलाना चाहता था। लेकिन, प्रहलाद की भक्ति की जीत हुई और होलिका आग में जलकर भस्म हो गई। ऐसा कहा जाता है कि तभी से होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है। होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा। इसलिए रंगनी धूलिवंदन 25 मार्च को खेला जा सकता है।
देशभर में रंगों के साथ होली मनाई जाती है। इस दिन अजनबी भी अपने हो जाते हैं और दुश्मन भी एक-दूसरे को गले लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं।
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