Isometric Exercise: अगर आप 10 से 12 घंटे की work से थकावट फील करते है, तो आपके मसल्स को यह Exercise और भी ज्यादा बेहतर बनाता है | बहुत ज्यादा लोगो को काम कार्नर के साथ – साथ ही कई समस्या झेलना पर सकता है| जैसे की मोटापा, जोड़ों में दर्द, अर्थराइटिस, ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियां, स्पॉन्डिलाइटिस जैसी अनेकों गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिलती हैं।
अधिकतर लोगों को देर तक बैठने के बाद वापस उठने में शिकायत होती है। इसी तरह की प्रॉब्लम लोअर बैक की एक्सरसाइज करने (To exercise lower back), सुबह नरम गद्दे पर से सोकर उठने या हैवी एक्टिविटी (Heavy activity) के बाद देखने को मिलती है। लोअर बैक की बोन को लंबार / लुंबार (Lumbar) कहा जाता है, जिसके 5 कॉलम होते हैं। ये कॉलम L1 से L5 तक होते हैं, जिनसे मिलकर लोअर बैक बनता है।
इसके ऊपर मसल्स होते हैं। अगर इनमें से किसी मसल्स पर ज्यादा लोड आता है तो लोअर बैक में दर्द शुरू हो जाता है। इससे राहत पाने के लिए लोअर बैक स्ट्रेचिंग (Lower back stretching) और हिप्स स्ट्रेचिंग (Hips stretching) करने की सलाह दी जाती है।
आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज (Isometric Exercise) क्या हैं?
अगर हम आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज को ग्रीक भाषा के शब्दों में समझे तो इसे ‘आइसोमेट्रिक’ आइसोस (Equal) और मेट्रिया (measuring) से मिलकर बना है। इसका अर्थ है इन एक्सरसाइज को करने से मसल्स की लंबाई और एंगल में कोई बदलाव नहीं होता लेकिन मसल्स पर कॉन्ट्रेक्शन यानी टेंशन क्रिएट हो जाती है। ऐसी एक्सरसाइज जो बिना किसी मूवमेंट के ज्वाइंट (Joint) को शामिल किए बिना की जाती है और मसल्स पर अधिक टेंशन क्रिएट होती है उसे आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज कहते हैं।
आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज, जिसे स्थैतिक स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (static strength training) के रूप में भी जाना जाता है। इसमें कुछ समय के लिए मसल्स को कॉन्ट्रेक्ट (अंदर की ओर खींचना) किया जाता है। आसान शब्दों में कहें तो एक आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज में बिना किसी मूवमेंट के मसल्स कॉन्ट्रेक्ट होते हैं। यानी इसमें किसी भी पोजिशन को होल्ड किया जाता है। जैसे : नौकासन (Naukasan) और प्लैंक (Plank)। यह ऐसी एक्सरसाइज है जिनमें उस स्थिति को कुछ समय के लिए होल्ड किया जाता है।
कैसे की जाती है आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज (Isometric Exercise) है?
आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज (Isometric Exercise) निम्न प्रकार से की जाती है|
1. प्लैंक होल्ड (Plank Hold)
लगातार बैठे रहने की वजह से मांसपेशियों में तनाव होता है। इसकी वजह से गर्दन में दर्द, कमर दर्द की समस्या होने लगती है। मांसपेशियों के खिंचाव को कम करने के लिए प्लैंक एक्सरसाइज करना बेहतर माना जाता है। प्लैंक एक्सरसाइज कई तरह से कर सकते हैं जैसे फुल प्लैंक, एल्बो प्लैंक, हाफ प्लैंक आदि। याद रखें अगर गर्दन में ज्यादा दर्द है, तो प्लैंक करना अवॉयड करें।
इन शारीरिक अंगों में दर्द के दौरान एक्सरसाइज करने से आपकी परेशानी बढ़ सकती है। प्लैंक करना भी लोअर बैक के लिए आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज है, क्योंकि प्लैंक में आपको एक ही पोजिशन को होल्ड करना होता है। प्लैंक पोजिशन से बैक पेन में रिलीफ मिल सकता है। इसके लिए प्लैंक को कम से कम 30-40 सेकंड तक होल्ड करें। अब 10 सेकंड रिलेक्स करें। इस तरह के कुल 4 सेट करें।
2. आइसोमेटिक पुशअप (Isometric Push-up)
वैसे तो यह दिखने में नॉर्मल पुश-अप जैसा ही है। इसमें आपको करना यह है कि अपने आपको पुशअप की प्रारंभिक स्थिति में होल्ड करना है। शरीर की स्ट्रेंथ बढ़ाने और फ्लैक्सीबिलिटी को बढ़ाने के लिए आइसोमेट्रिक पुश-अप्स किए जा सकते हैं।
पुश-अप्स करते हुए जब शरीर को नीचे ले जाया जाता है, तो पीठ की मांसपेशियां स्ट्रेच होती हैं और जब बॉडी को ऊपर लाते हैं, तो बाइसेप्स की मसल्स स्ट्रेच होती हैं। ऐसे में लगातार इसकी प्रैक्टिस से शरीर का लचीलापन बढ़ता है। बॉडी फ्लैक्सिबल होने की वजह से अपर बैक, लोअर बैक एवं शोल्डर पेन से बचाया जा सकता है।
3. ग्लूट ब्रिज (Glute Bridge)
ग्लूट ब्रिज लोअर बैक करने के लिए सबसे पहले आपको आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज के अंतर्गत वॉल-ग्राउंड पुश करने के लिए सबसे पहले किसी दीवार से अपने पैर के तलवों को सटाकर पुश-अप्स करने की पुजिशन में आ जाएं।
फिर हाथों पर जोर लगाते हुए पैरों को दीवार पर थोड़ी उंचाई पर टिकाएं। हाथों को बिल्कुल सीधा रखते हुए पैरों से दीवार को धक्का दें। इस आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज से पैरों की मांसपेशियों पर दबाव बनता है, जिससे वे मजबूत बनती हैं। ग्राउंड पुश एक्सरसाइज हाथों के साथ-साथ पैरों के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है।
4 . प्रेयर पोज (Prayer Pose)
ऑफिस में लगातार एक ही पुजिशन में बैठे रहने से ऑस्टियोअर्थराइटिस, गर्दन दर्द, जोड़ों के दर्द जैसी समस्या हो सकती है। इन प्रॉब्लम्स को होने से रोकने के लिए प्रेयर मुद्रा कर सकते हैं। यह हाथों की सबसे आसान एक्सरसाइज है। इसे करने के लिए आप कुर्सी पर बैठ सकते हैं।
हाथों को ऐसे जोड़ें जैसे आप प्रार्थना करते हैं, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि आपके हाथ सीने के नीचे हों और कोहनी से हथेलियों की पुजिशन बिल्कुल सीधी हो। 20 सेकंड इस स्थिति में रहने के बाद सामान्य हो जाएं।
5. बॉडी होल्ड (Body Hold)
यह भी लोअर बैक के लिए आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज है, जिसमें बॉडी को होल्ड करना होता है। इसे करने के लिए आपको हाथ ऊपर करके लेटना है और फिर पोजिशन में आने के बाद पैर और हाथों को हवा में हल्का ऊपर उठाना है। इस एक्सरसाइज हो हॉलो होल्ड या नौकासन भी कहते हैं।
इस एक्सरसाइज की स्थिति को भी 30 सेकंड के लिए होल्ड करें और फिर नॉर्मल स्थिति में आ जाएं। इसके भी चार सेट करें।
6. काफ राइज होल्ड (Calf Raise Hold)
बड़े ही आसानी से वर्कआउट को किया जा सकता है। आप सिर्फ किसी दिवार के सामने खड़े हो जाएं। अब दोनों हाथों से वॉल को पुश करते हुए बॉडी को ऊपर की ओर लिफ्ट करें।
इस दौरान आप अपने पैर के पंजों के सहारे बॉडी को अपवर्ड डायरेक्शन में पुश करें और एड़ियों को ऊपर की ओर उठाये रखें। 30 सेकेंड होल्ड करें और फिर नॉर्मल पुजिशन में आ जाएं। ऐसा करने से आप रिलैक्स महसूस करेंगे।
7. केट या काऊ स्ट्रेच (Cat / Cow Stretch)
केट या काऊ स्ट्रेच को योग की भाषा में मार्जरी आसन कहते हैं। इसे करने से रीढ़ और पीठ की मांसपेशियों का लचीलापन बना रहता है और दर्द भी कम होता है।
इसे करने के लिए आपको फोटो में दिखाई मुद्रा में आना है। अब कोर व लोअर बैक को ऊपर-नीचे की ओर प्रेस करना है। इस एक्सरसाइज को भी 30-30 सेकंड के लिए चार बार होल्ड करें।
8. स्टेटिक लंज (Static Lunge)
स्टेटिक लंज भी बड़े ही आसानी से किया जा सकता है। इस वर्कआउट के दौरान स्ट्रेट खड़े हो जाएं। अपने हाथों को कमर पर रखें और 90 डिग्री का कोण बनाते हुए एक-एक पैर आगे बढ़ाएं और बैठें।
इस एक्सरसाइज की मदद से पैरों को स्ट्रॉन्ग किया जा सकता है।
9. लेग एक्सटेंशन (Leg Extensions)
क्वार्ड या क्वाड्रिसेप्स मसल्स बॉडी का फ्रंट अपर पार्ट है। इन मसल्स को टोन करने के लिए लेग एक्सटेंशन एक्सरसाइज की सलाह दी जाती है।
लगातर बैठकर काम करने की वजह इसका नेगेटिव इम्पैक्ट पड़ता है। इसलिए लेग एक्सटेंशन एक्सरसाइज कर आप अपनी फ्रंट बॉडी को अट्रैक्टिव बनाने के साथ-साथ स्ट्रॉन्ग भी बना सकते हैं।
10. आइसोमेट्रिक शोल्डर प्रेस (Isometric Shoulder Press)
आइसोमेट्रिक शोल्डर प्रेस को आप ऑफिस टाइम में भी आसानी से कर सकते हैं। इसे करने के लिए सिर्फ दो मिनट का ही समय लगेगा। एक हाथ सर के ऊपर सीधा कर लें।
इसी पुजिशन में 30 सेंकड के लिए रुकें और फिर पहले वाली स्थिति में आ जाएं। फिर दूसरे हाथ के साथ भी ऐसे ही करें। इससे कंधों में होने वाले दर्द से छुटकारा मिलता है। अगली बार से बैठे-बैठे काम के साथ-साथ आइसोमेट्रिक शोल्डर प्रेस करना ना भूलें।
आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज के अलावा भी कई Tips है|
शरीर को हाइड्रेट करते रहें:-
पानी ज्यादा पीएं। ऑफिस पहुंचते ही अपने डेस्क पर पानी की बोतल रखें और समय-समय पर खुद को हाइड्रेट करें। इससे दो फायदे होते हैं, पहले आप खुद को हाइड्रेट रख पाते हो, जिससे आप फ्रेश महसूस करेंगे और दूसरा पानी पीने से आपको टॉयलेट जाना पड़ेगा, जिसकी वजह से आप वॉक कर सकते हैं।
बॉडी पॉश्चर का रखें ख्याल:-
जब भी आप काम करते हैं, तो पीठ को हमेशा सीधा रखें इससे आप को पीठ, कंधे और गर्दन में दर्द नहीं होगा। अगर आपकी कुर्सी आरामदायक नहीं है, तो एक कुशन का उपयोग करें। क्योंकि सही बॉडी पॉश्चर भी वजन घटाने के तरीके में शामिल हो सकता है।
कोशिश करें ज्यादा से ज्यादा चलें:-
जब आप ऑफिस आते हैं और काम खत्म होने के बाद घर जाते है इस दौरान अगर आपका स्टॉफ ऑफिस से पांच से दस मिनट के अंतर पर है, तो आप पैदल चलकर आने पर जोर दें, जिससे आप दस मिनट की वॉक भी करते हैं। ऑफिस में लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करें, लंच ब्रेक में खाने के बाद सीढ़ियों का इस्तेमाल करें इससे आपका खाना पच जाएगा और आप आगे काम करने में फ्रेश महसूस करेंगे।
चेयर एक्सरसाइज करे:-
वजन घटाने के तरीके में डेस्क पर ही आप कुछ एक्सरसाइज कर सकते हैं जोआपकी बॉडी को कंर्फटेबल बनाएगी जैसे कि स्ट्रेचिंग, नेक रोटेशन, सीटेड टोरसो टिव्स्ट, क्रॉस्ड लेग टो रीच, शोल्डर रोटेशन आदि।
ब्लॅड प्रेशर:-
साल 2014 में एक प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार 18 वर्ष से अधिक प्रतिभागियों का 8 हप्तो के अंदर आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज से भारी गिरावट आई है |
आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज (Isometric Exercise) के क्या-क्या फायदे है?
आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज (Isometric Exercise) के निम्न प्रकार के फायदे हैं|
- आइसोमेट्रिक व्यायाम मांसपेशियों को मजबूत और कंडीशनिंग करने में मदद करते हैं।
- ये व्यायाम बुजुर्गों के लिए भी अच्छा माना जाता है।
- ये निष्क्रिय मांसपेशियों के ऊतकों।
- लीन मसल्स के विकास में मदद मिलती है।को मजबूत करती हैं।
- रोग प्रतिरोध शक्ति बढ़ती है।
- आइसोमेट्रिक व्यायाम शरीर की सभी प्रमुख इकाइयों को सक्रिय करता है।
- अधिकांश आइसोमेट्रिक अभ्यासों के लिए किसी भी उपकरण की जरूरत नहीं होती है।
- आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज से बोन डेंसिटी को बेहतर बनाने में सहायता मिलती है।
- इससे बॉडी पॉश्चर में सुधार आता है।
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