Yoga Tips: दिन प्रतिदिन ठंड बढ़ते जा रही है, इतना ही नहीं ठंड के दिनों में इंसान न सिर्फ आलसी होने लगते हैं, बल्कि सर्दी खांसी जुकाम जैसी आम समस्याएं भी इंसान को प्रभावित करती हैं। ऐसे में ठंड के दिनों में खुद को इन मौसमी बीमारियों से बचाए रखने के लिए और आलस को दूर भगाने के साथ-साथ अपनी डेली रूटिंग में इन योगासन को जरूर शामिल करें। जिससे काफी हद तक ठंड से बच सकते है। इससे आपकी दिनचर्या बेहतरीन हो सकती है। और शरीर में गर्माहट भी बनी रहेगी और आलस भी दूर भागेगा।
आइये जानते है ग्रेटेस्ट वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाले योगासन के नेशनल प्लेयर गीता प्रसाद पांडे इस विषय में क्या बोलते है, तो उन्होंने बताया कि ठंड के दिनों में 8 ऐसे योगासन हैं, जिनका अभ्यास हर किसी को करना चाहिए। इससे ठंड के दिनों में किसी बीमारी का खतरा नहीं रहेगा। साथ ही शरीर के भीतर ऊर्जा का संचार होता रहेगा। ठंड के दिनों में भी व्यक्ति को ठंड नहीं लगेगी। तो आइये उन योगासन के बारे में जानते है और इस योगासन करके कैसे हम इस कारकारती ठंड से बच सकते है।
10 योगासन जो बदल देगी आपकी जिंदगी
योग मुद्रासन
पहले टांगों को सामने फैला कर बिलकुल सीधा बैठ जाएं। इसके बाद दाएं घुटने को मोड़कर पांव को बायीं जांघ पर इस तरह रखें कि एड़ी घुटनों के मूल से सटी हो। अब बायीं टांग को भी घुटनों से मोड़कर पांव को दायीं जांघ पर वैसे ही रखें जैसे पहले दायें पांव को बायीं पर रख चुके हों।
अब आप अपनी आंखें बंद कर लें। गहरी सांस लें और शरीर को ढीला छोड़ दें। दोनों हाथों को पीठ की तरफ पीछे ले जाएं और एक हाथ की कलाई को दूसरे हाथ से पकड़ लें। सांस को धीरे-धीरे बाहर की तरफ छोड़ते हुए आगे की तरफ इस तरह झुकें कि ललाट फर्श की तरफ हो। शरीर को फिर से ढीला छोड़ दें और सामान्य ढंग से सांस लें। उसके बाद सामान्य अवस्था में आ जाये।
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सूर्यभेदी प्राणायाम।
हमारी नाक में दो छिद्र होते हैं। दायां छिद्र सूर्यनाड़ी का प्रतीक होता है और शरीर को गर्म करने का काम करता है। अगर सर्दियों में बॉडी को गर्म करना है तो अपनी दायीं नाक से सांस लें और बायीं तरफ से बाहर करें। इस तरह अनुलोम-विलोम करने से शरीर में गर्मी आएगी।
बालासन प्राणायाम।
बुजुर्गों को कमजोरी और थकान की शिकायत रहती है, इस योगासन के नियमित अभ्यास से कमजोरी दूर होती है। बालासन के अभ्यास से तनाव कम होता है, साथ ही ऊर्जा मिलती है। इस आसन को करने के लिए जमीन पर घुटनों के बल बैठ जाएं। अब दोनों टखने और एड़ियों को आपस में एक दूसरे से टच करें।
गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर लाएं और आगे की ओर झुकें। फिर पेट को दोनों जांघों के बीच लाते हुए सांस छोड़ें। इस अवस्था में कुछ देर रूके। बाद में घुटनों को सीध में कर लें और वापस सामान्य स्थिति में आ जाएं।
नाड़ीशोधन प्राणायाम।
इस प्राणायाम में बाई नाक से सांस अंदर की ओर लेना होता है। सबसे पहले बाई नाक को अनामिका और कनिष्ठा उंगलियों की मदद से बंद कर लें और दाई नाक से सांस बाहर छोड़ें। इसके बाद अपनी दाई नाक के सहारे से सांस भीतर लें और उसे अंगूठे से बंद करके बाई नाक से खोलकर सांस बाहर छोड़ें। यह नाड़ीशोधन प्राणायाम या अनुलोम-विलोम का एक चक्र है। इस प्राणायाम को करने से शरीर गर्म रहता है।
कपालभाति प्राणायाम।
कपालभाति में सामान्य तरीके से सांस लें। छोड़ते वक्त सांस को अंदर से खींचकर बाहर निकालें। इससे कुछ ही देर में शरीर में गर्मी आ जाती है।
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वृक्षासन प्राणायाम।
वृक्षासन योग कई प्रकार से लाभकारी है। शरीर में रक्त के संचार को ठीक बनाए रखने से लेकर चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं को दूर करने कूल्हों-पैरों की हड्डियों-मांसपेशियों को मजबूती देने और आत्मविश्वास बढ़ाने में इस योग के लाभ हैं।
वृक्षासन को करने के लिए सीधे खड़े होकर बाएं पैर पर संतुलन बनाते हुए दाएं पैर को मोड़कर तलवे को बाएं पैर की जांघ पर रखें। इस स्थिति में संतुलन बनाएं और हाथों को जोड़ते हुए सिर के ऊपर ले जाते हुए नमस्कार की मुद्रा ले लें। कुछ देर इसी अवस्था में रहें, बाद में दूसरे पैर से भी प्रक्रिया को दोहराएं।
पादहस्तासन प्राणायाम।
गीता प्रसाद पांडे ने बताया कि इस आसन को करने के लिए कमर को मोड़ते हुए आगे की तरफ झुकना होता है। शरीर को संतुलित करने की कोशिश करने के बाद हिप्स और टेलबोन को हल्का सा पीछे की ओर ले। जाएं. धीरे-धीरे हिप्स को ऊपर की ओर उठाएं और दबाव ऊपरी जांघों पर आने लगेगा।
ताड़ासन प्राणायाम।
ताड़ासन के जरिए पूरा शरीर स्ट्रेच होता है। इस योग को करने के लिए सीधे खड़े होकर पैरों के बीच कुछ दूरी रखें। गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और स्ट्रेच करके एड़ी उठाते हुए पैर की उंगलियों पर खड़े हो जाएं। इस अवस्था में शरीर के हर अंग में खिंचाव को महसूस करेंगे। अब कुछ देर इसी अवस्था में रूकने के बाद सामान्य स्थिति में लौट आएं। इस आसन को 10 से 15 बार जरूर करें।
भस्त्रिका प्राणायाम।
भस्त्रिका में सांस तेजी से लेना होता है, जिससे शरीर के अंदर गर्मी आती है। भस्त्रिका करने के लिए योग की पॉजीशन में बैठें और तेजी से सांस लेकर बाहर छोड़ें। इससे कुछ ही देर में शरीर गर्म हो जाएगा। कुछ लोगों को गर्मी भी लग सकती है, इसलिए पसीना आने पर इसे छोड़ देना चाहिए।
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भुजंग प्राणायाम।
भुजंगासन करने के लिए मैट पर पेट के बल लेटकर अपने दोनों पैरों के अंगूठों और एड़ियों को मिलाते हुए दोनों हथेलियों को सीने के सामने जमीन पर रखें। अब सांस लेते हुए हथेलियों पर दबाव डालें और सिर, छाती और नाभि तक पेट को ऊपर उठाएं। और इसी पोजीशन में आसमान की तरफ देखें। और गर्दन को सीधा रखें।
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